नई दिल्ली: मार्च का महीना आते ही टैक्सपेयर अक्सर टैक्स सेविंग के विकल्प तलाशने लगते हैं. लेकिन तमाम विकल्पों के साथ आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि रिटर्न और जरूरत पड़ने पर तुरंत नकदी मुहैया कराने के मामले में कौन सी टैक्स सेविंग स्कीम बेहतर है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि आयकर की धारा 80सी के तहत शामिल टैक्स सेविंग विकल्पों में से इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस) काफी बेहतर विकल्प है.
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि टैक्स का बोझ कम करने के लिए धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की बचत के अलावा 80डी (स्वास्थ्य बीमा) और 80सीसीडी के तहत एनपीएस का भी लाभ उठाना चाहिए.
लंबी अवधि में करीब 11 से 12 फीसदी सालाना रिटर्न
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में 50,000 रुपये के निवेश पर अतिरिक्त टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. अगर 80सी के तहत टैक्स लाभ का दावा करने की बात आती है, तो ईएलएसएस बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके दो मुख्य कारण हैं... पहला, ईएलएसएस निवेश सीधे शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है और इसने ऐतिहासिक रूप से प्रति वर्ष लगभग 11 से 12 प्रतिशत का दीर्घकालिक रिटर्न दिया है. दूसरा, ईएलएसएस के तहत 'लॉक इन पीरियड' केवल तीन साल का है. इसका मतलब है कि आप तीन साल बाद अपना पैसा निकाल सकते हैं.
किस निवेश पर कितना ब्याज और कितना लॉक-इन?
गौरतलब है कि 80सी के तहत निवेश में ईएलएसएस, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, जीवन बीमा आदि शामिल हैं. एनपीएस धारा 80सीसीडी के तहत आता है. पीपीएफ की लॉक-इन अवधि 15 साल है, जबकि एनएससी की लॉक-इन अवधि पांच साल है. वहीं सुकन्या समृद्धि के तहत लॉक-इन अवधि लड़की के 18 साल के होने तक और एलआईसी की मैच्योरिटी तक है. अगर ब्याज और रिटर्न की बात करें तो पीपीएफ पर फिलहाल 7.1 फीसदी और एनएससी पर 7.70 फीसदी ब्याज मिल रहा है. सुकन्या समृद्धि योजना के लिए यह 8.2 फीसदी और एलआईसी के मामले में करीब पांच से छह फीसदी है.
एनपीएस में 50,000 रुपये का अतिरिक्त योगदान कर सकते हैं
करदाता धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50,000 रुपये का योगदान करके अतिरिक्त कर छूट का दावा कर सकते हैं. इससे उनकी कर योग्य आय और कम हो जाएगी.