रांची: लोकसभा चुनाव के साथ साथ झारखंड के गांडेय विधानसभा उपचुनाव के लिए 20 मई को मतदान होगा. एक राजनीतिक रणनीति के तहत झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रहे डॉ. सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन I.N.D.I.A की ओर से झामुमो उम्मीदवार होंगी, इसकी प्रबल संभावना है.
झामुमो की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के विधायक दल के नेता सह सरकार में मंत्री आलमगीर आलम ने ETV BHARAT से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान इस पर अपनी मुहर भी लगा दी है कि गांडेय से कल्पना ही उम्मीदवार होंगी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गांडेय में कल्पना सोरेन की जीत पक्की है या फिर 2019 विधानसभा चुनाव से 2024 की अलग की परिस्थिति की वजह से कल्पना सोरेन की गांडेय उपचुनाव की परीक्षा कठिन होगी?
2019 विधानसभा उपचुनाव में क्या थी डॉ. सरफराज की जीत की वजह
वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन रघुवर दास सरकार के खिलाफ बने माहौल, "हेमंत है तो हिम्मत है" के नारों के साथ झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के किये गए वादों और मजबूत महागठबंधन था. दूसरी ओर तब भाजपा-आजसू पार्टी में गठबंधन नहीं हो सका था और बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में थे.
इसके बावजूद झामुमो उम्मीदवार के रूप में डॉ. सरफराज अहमद महज 8 हजार 955 वोट से ही जीत पाए थे. 2019 विधानसभा चुनाव के समय गांडेय में आजसू उम्मीदवार को 15 हजार 361 वोट और जेवीएम उम्मीदवार ने 8 हजार 952 वोट हासिल किया था. उस वक्त एनडीए में बिखराव के कारण झामुमो की जीत सुनिश्चित हुई थी, इस कारण को झुठलाया नहीं जा सकता है.
आज बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) का भाजपा में विलय हो चुका है और वो खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. आजसू फिर से NDA के साथ हैं. 2019 के गांडेय उपचुनाव में आजसू और जेवीएम को मिले मतों को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा विजेता झामुमो के उम्मीदवार डॉ. सरफराज अहमद और भाजपा के उम्मीदवार जय प्रकाश वर्मा के वोटों में अंतर से काफी ज्यादा हो जाता है. वोटों के अंकगणित की बात करें तो भाजपा में जेवीएम के विलय और आजसू का साथ मिलने से झामुमो के लिए गांडेय की राह आसान नहीं है.