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झारखंड में पाए जाने वाले 30 में से 3 सांप होते हैं बेहद खतरनाक, जानिए इनके जहर का क्या होता है असर - POISONOUS SNAKES IN JHARKHAND

झारखंड में मानसून आ चुका है और कई इलाकों में लगातार बारिश भी हो रही है. इस मौसम में हर जगह सांपों का खतरा मंडराने लगता है. ग्रामीण क्षेत्रों से हमेशा सर्प दंश से मौत की घटनाएं सामने आती हैं. ऐसे में ये जानना जरुरी है कि झारखंड में कितने तहर के सांप होते हैं और उनमें कितने जहरीले होते हैं. इस रिपोर्ट में जानिए झारखंड में कितने तरह के सांप होते हैं और उनके जहर का क्या असर होता है.

POISONOUS SNAKES IN JHARKHAND
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 16, 2024, 5:23 PM IST

हैदराबाद: ग्रामीण इलाकों में कई बार लोग अंधविश्वास और जानकारी कम होने की वजह से मौत का शिकार हो जाते हैं. लोगों को यह पता नहीं चल पाता है कि व्यक्ति को किस सांप ने डंसा है. सभी सांपों के काटने का निशान थोड़ा अलग होता है और इसका असर भी शरीर के अलग-अलग अंगों पर पड़ता है.

सांपों का रेस्क्यू करने वाले मनीष बख्शी बताते हैं कि वैसे तो झारखंड में करीब 30 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, लेकिन इसमें 3 सांप ही सबसे ज्यादा जहरीला होते हैं. इनमें कोबरा जिसे आम तौर पर गेहुअन कहते हैं, रसल वाइपर और करैत हैं. ये तीनों सांप अगर किसी को काटे तो उन्हें तुरंत ही इलाज की जरुरत पड़ती है. इस मामले में अगर कोई देरी करता है तो उसकी जान भी जा सकती है.

सूडो बाइट भी करता है कोबरा

जहरीले सांपों में सबसे पहले बात कोबरा की. कोबरा के बारे में सांपों के विशेषज्ञ मनीष बख्शी का कहना है कि यह सबसे ज्यादा एक्टिव सांप होता है. कोबरा किसी व्यक्ति को काटता है तो अपने दांतों का निशान उस जगह पर छोड़ देता है. कोबरा कभी-कभी सूडो बाइट (pseudo bite) भी करता है. यह जरूरी नहीं कोबरा पहले ही हमले में शिकार के शरीर में जहर छोड़े. यह चेताने के लिए कई बार पहले हमला तो करता है लेकिन अपने विष डंक शरीर में नहीं गड़ाता. इसे ही सूडो बाइट कहते हैं.

कोबरा (ईटीवी भारत)

कोबरा के काटने पर जा सकती है जान

सांपों के विशेषज्ञ मनीष बख्शी बताते हैं कि आम तौर पर कोबरा यानि गेहुअन के काटते ही उस स्थान पर त्वतचा का रंग बदलने लगता है. जहां सांप ने काटा है वहां सूजन होने लगती है. धीरे-धीरे शरीर में कमजोरी होने लगती है और शरीर शिथिल पड़ने लगता है. सांप काटे हुए व्यक्ति की आंखों झपकने लगती है और मुंह से लार गिरना शुरू हो जाता है. शरीर से पसीना निकलने लगता है और सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है. जान जोखिम में पाकर कोबरा कई बार शिकार के शरीर में काफी अधिक मात्रा में जहर छोड़ता है. यही कारण है कि कुछ मामलों में कोबरा के शिकार की जान बचाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलता. कोबरा कई बार शिकार के शरीर में ज्यादा जहर छोड़ देता है जिससे व्यक्ति को बचाने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता.

नर्वस सिस्टम पर असर डालता है कोबराटॉक्सिन

मनीष बताते है कि हर सांप में अलग-अलग तरह का जहर पाया जाता है. कोबरा में जो जहर होता है कि उसे कोबराटॉक्सिन कहते हैं. यह जहर न्यूरोचॉक्सिन का ही एक प्रकार है जो शरीर के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. कोबरा का जहर जैसे ही शरीर के अंदर जाता और नर्वस सिस्टम पर हमला करता तो शरीर लकवाग्रस्त होने लगता है. कई विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि कई मामलों में विशेषज्ञों का कहना है कि यह अपनी क्षमता के अनुसार जहर छोड़ता है. शरीर में जहर की मात्रा कम गई है तो व्यक्ति को समय रहते बचाया जा सकता है.

दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है करैत

सांपों के विशेषज्ञ मनीष बताते हैं कि करैत सांप भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के टॉप-10 जहरीले सांपों में शामिल हैं. इस सांप के भी कई प्रजाती हैं. यह सांप दिन के समय यह छिपा रहता है और मुख्यतः रात के समय ही शिकार पर निकलता है. करैत ठंडे खून वाला सांप है और गर्मी पाने के लिए कई बार यह घरों में घुस जाता है. करैत की सबसे खास बात यह है कि इसका विष दंत सूई की तरह बेहद पतला और छोटा होता है. करैत के डंसने पर व्यक्ति को तेज दर्द नहीं होता. कई बार करैत के काटते पर पता ही नहीं चलता कि सांप ने डंसा है. कई बार करैत के शिकार व्यक्ति की नींद में ही मौत हो जाती है.

करैत (ईटीवी भारत)

करैत का जहर न्यूरोट्रांसमीटर ब्रेक कर देता है

करैत सांप में जो जहर पाया जाता है कि उसे न्यूरोटॉक्सिन कहते हैं. यह जहर इंसान के नर्वस सिस्टम पर असर डालता है शरीर के न्यूरोट्रांसमीटर को ब्रेक कर देता है. इससे शरीर को काम करने का सिग्नल नहीं मिलता. जाहिर है कि अगर शरीर काम करने का सिग्निल नहीं मिलेगा तो उसकी मौत हो जाएगी.

आकार में काफी बड़ा होता है रसल वाइपर

करैत की तरह रसल वाइपर भी दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है. रसेल वाइपर आकार में बड़ा होता है और इसके शरीर की बनावट कुछ इस तरह होती है कि लोग इसे अजगर समझ लेते हैं. यह सांप अधिकतर खुले मैदानों या खेतों में पाया जाता है. जमीन पर मौजूद पेड़ के सूखे पत्तों, घास और झाड़ियों में यह छिपने इस कदर माहिर होता है कि लोग इसे देख नहीं पाते. रसल वाइपर रात में ज्यादा एक्टिव रहता है.

रसल वाइपर (ईटीवी भारत)

रात में ज्यादा एक्टिव होता है रसल वाइपर

रसल वाइपर के बारे में विशेषज्ञ यह बताते हैं कि ये रात में एक्टिव होता है. इस सांप के शिकार ज्यादातर वैसे लोग होते हैं जो रात में बाहर निकलते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान रात में बाहर निकलते हैं तो टॉर्च या लाइट साथ में लेकर निकलें. रसल वाइपर का हमला बहुत तीव्र और घातक होता है. इसके जबड़े दूसरे सांपों की तुलना में सबसे ज्यादा शक्तिशाली होते हैं. इसके काटने के बाद भयंकर दर्द होता है. पेट में दर्द के साथ शरीर में तेजी के साथ जहर फैलने लगता है. पेशाब के रास्ते खून आने लगता है.

हेमोटॉक्सिन से होती है इंटरनल ब्लीडिंग

रसल वाइपर का जहर हेमोटॉक्सिन (Hemotoxins) होता है. इस सांप का जहर शरीर के अंदर प्रवेश करते ही नसें फटने लगती है. शरीर के अंदर ही रक्त श्राव शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं. शरीर में खून के थक्के बनते हैं और हार्ट अटैक से व्यक्ति की मौत हो जाती है.

क्यों डंसता है सांप ?

जितना हम इंसान सांपों से डरते हैं उतना ही सांप भी हमसे डरते हैं. सांप अपने जहर का इस्तेमाल दुश्मनों से सुरक्षा के लिए करता है. यही कारण है कि जब सांप को लगता है कि उसकी जान खतरे में है तो वह हमला कर देता है. सांप मुख्य रूप से अपने जहर का इस्तेमाल शिकार के लिए करते हैं. भोजन की तलाश में निकला सांप शिकार के शरीर पर दांत गड़ा देता है और उसके शरीर में जहर डाल देता है. जहर के कारण शिकार थोड़ी दूर जाकर बेहोश हो जाता है और सांप अपने जहर को सूंघता हुआ उसके पास पहुंच जाता है.

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