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आधा शरीर काम नहीं करता, फिर भी BPSC शिक्षक बनना चाहते हैं अनुभव, इनकी कविता भी स्कूलों में पढ़ा रहा NCERT

शारीरिक अक्षमता से हार मान जाने वालों के लिए अनुभव राज की जिंदगी से कुछ सबक सीखना चाहिए. उन्होंने छोटी उम्र में कई किताबें और कविताएं लिखीं. नतीजा ये हुआ कि उनकी लिखी कविताएं आज NCERT के पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं. परिस्थिति कैसी भी हार नहीं मानना चाहिए. आधे शरीर से लाचार होने के बावजूद अनुभव राज आज शिक्षक बनकर देश के भविष्य को गढ़ने का माद्दा रखते हैं. पढ़ें पूरी खबर-

माता पिता और बहन के साथ होनहार  छातर अनुभव राज
माता पिता और बहन के साथ होनहार छातर अनुभव राज

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 20, 2024, 6:03 AM IST

Updated : Feb 20, 2024, 7:37 AM IST

होनहार अनुभव राज बनना चाहते हैं शिक्षक

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले स्पेशल चाइल्ड अनुभव राजअपनी प्रतिभा के दम पर कम उम्र में ही अपनी लेखनी की बदौलत काफी सुर्खियां बटोर ली. अभिनव का आधा शरीर काम नहीं करता. उन्हें लिखना-पढ़ना बहुत पसंद है. इसलिए वो बचपन से ही कविता और कहानी लिखने लगे थे. छोटी उम्र में ही उनकी लिखी कविता आज NCERT की दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है. फिलहाल वह अभी डीएलएड की पढ़ाई कर रहे हैं और शिक्षक बनना चाहते हैं.

''अनुभव 12 अगस्त 2004 को जन्म लिया था. जन्म के वक्त वह रोया नहीं था. वह जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित है. लेकिन, उसमें पढ़ने की चाहत है. वह एक आर्टिस्ट भी है. कविताएं लिखना पसंद है. उसकी किताब भी छपी हुई है. अब उसकी एक कविता एनसीईआरटी में भी छपी है. जिसे देश भर में कक्षा दो के बच्चे पढ़ रहे हैं. मां के नाम से कविता है.''- डॉ आरती कुमारी, अनुभव राज की मां

बचपन से ही साहित्यकार बने अनुभव राज: अनुभव राज की मां साहित्यकार हैं और सीतामढ़ी के एसआईटी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनके पिता माधवेन्द्र प्रसाद कंप्यूटर का व्यवसाय करते थे. वो वर्तमान में अनुभव के साथ ही रहते हैं. उनकी बहन भी शिक्षिका हैं. बचपन में अनुभव का जीवन नानी के साथ बीता. नानी उन्हें कहानियां सुनाया करती थीं, इसलिए उनकी छाप उनके मन मष्तिष्क पर पड़ी.

छोटी उम्र में ही लिखी किताबें और कविता : मुजफ्फरपुर में रहकर ही अभिनव राज ने 2020 में मैट्रिक पास किया और फिर 2022 में इंटर पास करके वैशाली के एक कॉलेज से ही डीएलएड़ की पढ़ाई शुरू कर दी. अभिनव अब मां की तरह शिक्षक बनना चाह रहे हैं. बचपन से ही उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. लॉकडाउन में काफी सक्रिय हुए और एक किताब भी लिख दी. किताब का नाम 'चिड़ियों का स्कूल' काफी चर्चित भी हुआ.

''अनुभव सेरेब्रलपाल्सी के मरीज हैं. जन्म से ही अनुभव के शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं करता है. सरेब्रल पल्सी का मरीज होने के बाबजूद अनुभव की जीने की चाह कभी कम नहीं हुई. उन्होंने मां तुम कितनी भोली-भाली कितनी प्यारी-प्यारी हो कविता भी लिखी है.''- माधवेन्द्र, अनुभव राज के पिता

NCERT के पाठ्यक्रम में शामिल है उनकी कविता: उन्होंने मां पर भी एक कविता लिखी. ये कविता NCERT को इतनी पसंद आई की उसे कक्षा दो के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया. इसके लिए बाकायदे उन्हें NCERT की तरफ से कविता सलेक्ट करने का एक लेटर भी दिया गया. उनकी यह कविता 'मां' NCERT कक्षा दूसरी के सारंगी में चौथे नंबर पेज संख्या 14 पर छपी है. इसकी लाइन बेहद ही आसान भाषा में हैं.

''मां शब्द से बड़ा दुनिया में कोई शब्द नहीं है. मां आपसे हमेशा निस्वार्थ प्यार करती है. चाहे आप जैसे भी हों. वह हमेशा आपका साथ देती है. आपके साथ खड़ी रहती है. मेरी मां भी मुझसे बहुत प्यार करती है. पिता भी करते हैं. इसलिए, मां के लिए कविता लिखी थी.''- अनुभव राज, होनहार छात्र

शिक्षक बनना चाहते हैं अनुभव: इससे पहले एक कवि सम्मेलन में शामिल होने के लिए अनुभव पटना गये थे. वहां अनुभव की रचनाओं से राज्य निःशक्तता आयुक्त काफी प्रभावित थे. उन्होंने विजिटिंग कार्ड देते हुए ऑफिस में आमंत्रित किया था. वहां जाकर अनुभव ने रीमोट व्हील चेयर के लिए आवदेन भी दिया. बातचीत में जब उसने अधिकारी बनने की इच्छा जताई तो आयुक्त ने उसकी इच्छा पूरी कर दी.

''बच्चे की अगर इंटेलिजेंस बढ़िया है तो वह आगे बढ़ सकते है. सेरेब्रल पाल्सी का इलाज बढ़िया से हो तो बच्चे का इंटेलिजेंस बढ़ता है. इस बीमारी से ग्रस्ति कई ऐसे लोग हैं जो अलग-अलग क्षेत्र में काम करते है.'' - डॉक्टर चंदन कुमार, फिजिशियन, अशोका हॉस्पिटल मुजफ्फरपुर

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Last Updated : Feb 20, 2024, 7:37 AM IST

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