मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले स्पेशल चाइल्ड अनुभव राजअपनी प्रतिभा के दम पर कम उम्र में ही अपनी लेखनी की बदौलत काफी सुर्खियां बटोर ली. अभिनव का आधा शरीर काम नहीं करता. उन्हें लिखना-पढ़ना बहुत पसंद है. इसलिए वो बचपन से ही कविता और कहानी लिखने लगे थे. छोटी उम्र में ही उनकी लिखी कविता आज NCERT की दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है. फिलहाल वह अभी डीएलएड की पढ़ाई कर रहे हैं और शिक्षक बनना चाहते हैं.
''अनुभव 12 अगस्त 2004 को जन्म लिया था. जन्म के वक्त वह रोया नहीं था. वह जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित है. लेकिन, उसमें पढ़ने की चाहत है. वह एक आर्टिस्ट भी है. कविताएं लिखना पसंद है. उसकी किताब भी छपी हुई है. अब उसकी एक कविता एनसीईआरटी में भी छपी है. जिसे देश भर में कक्षा दो के बच्चे पढ़ रहे हैं. मां के नाम से कविता है.''- डॉ आरती कुमारी, अनुभव राज की मां
बचपन से ही साहित्यकार बने अनुभव राज: अनुभव राज की मां साहित्यकार हैं और सीतामढ़ी के एसआईटी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनके पिता माधवेन्द्र प्रसाद कंप्यूटर का व्यवसाय करते थे. वो वर्तमान में अनुभव के साथ ही रहते हैं. उनकी बहन भी शिक्षिका हैं. बचपन में अनुभव का जीवन नानी के साथ बीता. नानी उन्हें कहानियां सुनाया करती थीं, इसलिए उनकी छाप उनके मन मष्तिष्क पर पड़ी.
छोटी उम्र में ही लिखी किताबें और कविता : मुजफ्फरपुर में रहकर ही अभिनव राज ने 2020 में मैट्रिक पास किया और फिर 2022 में इंटर पास करके वैशाली के एक कॉलेज से ही डीएलएड़ की पढ़ाई शुरू कर दी. अभिनव अब मां की तरह शिक्षक बनना चाह रहे हैं. बचपन से ही उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. लॉकडाउन में काफी सक्रिय हुए और एक किताब भी लिख दी. किताब का नाम 'चिड़ियों का स्कूल' काफी चर्चित भी हुआ.
''अनुभव सेरेब्रलपाल्सी के मरीज हैं. जन्म से ही अनुभव के शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं करता है. सरेब्रल पल्सी का मरीज होने के बाबजूद अनुभव की जीने की चाह कभी कम नहीं हुई. उन्होंने मां तुम कितनी भोली-भाली कितनी प्यारी-प्यारी हो कविता भी लिखी है.''- माधवेन्द्र, अनुभव राज के पिता