पीएम मोदी 31 मार्च यानी कल मेरठ से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले हैं. मेरठ :पीएम मोदी 31 मार्च यानी कल मेरठ से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले हैं. यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने पश्चिम से सत्ता के संग्राम की शुरुआत की है. 2014 से ही यह सिलसिला बना हुआ है. आखिर क्या कारण है कि भाजपा जब चुनावी रण में उतरती है तो पश्चिम से ही शुरुआत होती है. इस बार तो भाजपा को रालोद का भी साथ मिल गया है. ऐसे में इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. इसमें सबसे खास यह कि भाजपा इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम में एक मजबूत ताकत के रूप में स्थापित भाजपा आगे के चरणों के चुनाव के लिए यहीं से एक साफ संदेश भी देना चाहती है.
2014 के चुनाव में मिली थी कामयाबी
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र शर्मा कहते हैं-यह सभी को मालूम है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं. अगर तीनों चुनाव को याद करें तो लोकसभा के चुनाव पश्चिमी यूपी से ही शुरु हो रहे हैं. पहले और दूसरे चरण के चुनाव भी पश्चिमी यूपी से ही शुरु हो रहे हैं. पुष्पेंद्र कहते हैं-जब पहली बार लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी यूपी से लोकसभा चुनाव के प्रचार का बिगुल फूंका था तो उन्हें कामयाबी मिली थी. अब यहां से वह विश्वास ही चुनाव अभियान की शुरुआत करवा रहा है.
कहते हैं, पश्चिम देश में संदेश जाता है. यह भी कारण हो सकता है जो पीएम बार-बार यहीं से चुनाव अभियान की शुरुआत करते हैं.
आरएलडी और बीजेपी के साथ आने को लेकर पुष्पेंद्र शर्मा बताते हैं कि 2009 में भारतीय जनता पार्टी और रालोद साथ थे, तब रालोद के पांच सांसद जीतकर आए थे. उसके बाद से दोनों दलों की राहें जुदा हो गई थीं. रालोद की स्थिति तो काफी कमजोर हो गई थी. पार्टी के पास कोई सांसद नहीं बचा था. दिल्ली तक का आवास इन से छिन गया था. अब रालोद भाजपा फिर एक साथ है. ऐसे में बीजेपी को पश्चिम में फायदे होने की उम्मीद है.
कभी सपा, बसपा और कांग्रेस रहीं मजबूत
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं-पश्चिमी यूपी की अगर बात करें तो यहां 2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी के लिए माहौल अच्छा नहीं रहा. यहां समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस मज़बूत रही हैं. 2013 में हुए दंगों के बाद यहां की परिस्थितियां बदल गईं. भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने उस वक्त कैराना समेत आसपास के जिलों में डेरा डाला. उन्होंने मुजफ्फरनगर, कैराना समेत वेस्ट में लगातार ताबड़तोड़ दौरे किए. घर-घर जाकर लोगों से कनेक्ट हुए और इसका फायदा बीजेपी को यह हुआ कि जब 2014 में इलेक्शन हुआ तो तमाम विपक्षी दलों को मोदी लहर में सियासी नुकसान उठाना पड़ा. तब भी पीएम मोदी ने पश्चिमी यूपी से ही लोकसभा चुनावों के लिए शंखनाद किया था.
सादाब रिज़वी कहते हैं कि तब के बाद से लगातार देखा जा रहा है कि चाहे कोई विधानसभा चुनाव हो, मोदी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत वेस्ट यूपी से की.
हालांकि वह यह भी जोड़ते हैं कि बीजेपी के साथ पूरी तरह से खासकर जाट समाज नहीं जुड़ पाया. यही वजह है कि पीएम मोदी जब भी चुनावी शंखनाद करते हैं तो पश्चिमी यूपी से करते हैं और इस बार तो उन्हें उम्मीद है कि उनकी पावर पहले इसके मुकाबले और भी ज्यादा बढ़ाने वाली है क्योंकि इस बार तो राष्ट्रीय लोकदल भी भारतीय जनता पार्टी के साथ है.
ऐतिहासिक होगी मेरठ की रैली
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हम सभी को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं. प्रदेश में सभी 80 सीटों पऱ NDA विजयी होने वाला है. उनका कहना है कि वहीं देश में चार सौ पार के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है. कहा कि इस बार मेरठ की रैली पहले से भी अधिक ऐतिहासिक होगी. फिलहाल बता दें कि पश्चिम यूपी में बीजेपी कहीं कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती. यही वजह है कि पीएम की इस बार की रैली को बेहद अहम माना जा रहा है. बता दें कि पीएम कल दोपहर बाद 3 बजे मेरठ के मोदीपुरम में रैली को सम्बोधित करके चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे.
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