नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी याचिका दायर की गई है. यह याचिका एनजीओ सोशल जूरिस्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में रोहिंग्या बच्चों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण दाखिला नहीं दिया जा रहा है.
याचिका में बताया गया है कि ऐसे बच्चे, जो श्री राम कालोनी और खजूरी चौक जैसे क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें 14 साल की उम्र से कम होने के बावजूद शिक्षा से वंचित किया जा रहा है. यह स्थिति उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है. याचिका का मुख्य तर्क यह है कि संविधान के अनुच्छेद 14 (बराबरी का अधिकार), 21 (जीने का अधिकार) और 21ए (शिक्षा का अधिकार) का उल्लंघन हो रहा है.
इस मामले में आगे कहा गया है कि जिन रोहिंग्या बच्चों का स्कूल में दाखिला हो गया है, उन्हें दूसरी आवश्यक सुविधाओं और लाभों से भी वंचित किया जा रहा है, जिनकी उन्हें कानूनी रूप से आवश्यकता है. याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिक्षित होना न केवल एक मौलिक अधिकार है, बल्कि भारत में रहने वाले सभी बच्चों के लिए यह एक संवैधानिक अधिकार भी है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से क्यों न हों.