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'PK बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री'- उनके गांव वालों को है उम्मीद, जानिए किस शहर में है प्रशांत किशोर का पैतृक गांव - PRASHANT KISHOR - PRASHANT KISHOR

प्रशांत किशोर का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. भारत के बड़े राजनीतिक विश्लेषकों और चुनाव रणनीतिकारों में उनकी गिनती होती है. इस वक्त बिहार के राजनीतिक गलियारे में उन्होंने हलचल मचा रखी है. बड़ी संख्या में लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर के पैतृक गांव के लोगों में भी खुशी का माहौल है. क्या सोचते हैं उनके गांव के लोग और रिश्तेदार, पढ़ें-विस्तार से.

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो)
प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 15, 2024, 8:59 PM IST

Updated : Aug 15, 2024, 10:29 PM IST

प्रशांत किशोर के ग्रामीणों की बातचीत. (ETV Bharat)

रोहतास : बिहार की राजनीति में इन दिनों प्रशांत किशोर खूब चर्चा में हैं. दो अक्टूबर को पार्टी का गठन करने वाले हैं. पटना में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उनसे जुड़े हैं. इनमें भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति और चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी शामिल हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज, बिहार के लोगों को एक विकल्प देगी. प्रशांत किशोर के पैतृक गांव में इस बात को लेकर खुशी है.

रोहतास के रहनेवाले हैं पीके: आप में बहुत से लोगों को यह पता होगा कि प्रशांत किशोर बक्सर के रहनेवाले हैं. यह ठीक है, लेकिन बक्सर उनका पैतृक गांव नहीं है. प्रशांत किशोर का पैतृक गांव रोहतास जिला के कोनार में है. कोनार गांव, जिला मुख्यालय सासाराम से 8 किलोमीटर दूर सासाराम-चौसा पथ पर स्थित है. सड़क किनारे ही प्रशांत किशोर का मकान है, जो इनके दादा तथा पिता ने बनवाया था. इसी गांव में ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनके गोतिया व रिश्तेदारों से बात की.

प्रशांत किशोर का पैतृक घर. (ETV Bharat)

"प्रशांत किशोर गांव के हैं. राजनीति में आगे बढ़ें, उनके आगे बढ़ने से देश और बिहार की तरक्की तो होगी ही हमारे गांव का भी विकास होगा. उन्हें हम सब बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं."- जितेंद्र पांडे, रिश्तेदार

डॉक्टर थे पीके के पिताः प्रशांत किशोर के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे इलाके के प्रसिद्ध चिकित्सक थे. बाद में करगहर में उनका पदस्थापना हुआ. इसी दौरान प्रशांत किशोर कुमार का परिवार कोनार से निकलकर बक्सर में शिफ्ट कर गया. प्रशांत किशोर अपने माता-पिता के साथ बक्सर में रहने लगे. दो भाइयों में प्रशांत सबसे छोटे हैं. सासाराम चौसा पथ पर कोनार में 23 डिसमिल में इनका बड़ा सा पुश्तैनी मकान बना है, जो अब खाली पड़ा है. रिश्तेदार केदार पांडे मकान की देखरेख करते हैं.

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

पीके का कर रहे हैं इंतजारः उनके गांव के गोतिया, रिश्तेदार, पटीदार के लोग प्रशांत किशोर की तरक्की से काफी खुश हैं. गांव के लोग तथा गोतिया पटीदार के लोग कहते हैं कि उनके पिता डा. श्रीकांत पांडे से भी प्रशांत किशोर कहीं आगे निकल गए. उनके पिता भी काफी समाजिक थे तथा लोगों की हमेशा मदद किया करते थे. कोनार गांव तथा आसपास के किसी मरीज से आज तक उन्होंने फीस नहीं ली. इलाज कराने जाने पर उनके पिता मरीजों को दवाइयां भी अपनी ओर से दे देते थे. आज उनके गांव को प्रशांत किशोर का इंतजार है.

"प्रशांत किशोर का गांव के लोगो से स्नेह है. यहां उनका कोई विरोधी नहीं है. पिताजी इनके डॉक्टर थे उन्होंने कभी इलाज के लिए फीस नहीं ली. अगर उनके कंपाउंडर ने अनजाने में ले भी ली तो पैसा वापस करा देते थे. प्रशांत किशोर को हमारी शुभकामनाएं. वो राजनीति में आगे बढ़े, बिहार व देश का नाम रोशन करें."- रोहित पांडे, गोतिया

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

गांव वालों को पीके से उम्मीदः गांव के लोग कहते हैं कि पर्व त्योहार में कभी-कभी वह आते जाते रहते हैं. लेकिन जब से राजनीतिक व्यस्तता हुई है, उनकी गतिविधि गांव में कम हो गई है. ऐसे में प्रशांत किशोर का गांव वाले कहते हैं कि वह राजनीति के क्षेत्र में खूब आगे बढ़े, खूब तरक्की करें तभी तो हमारे गांव का भी विकास होगा. गांव को के लोगों को उम्मीद है कि प्रशांत किशोर एक दिन बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. प्रशांत किशोर के पदयात्रा हो या फिर पटना और तथा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रमों में भी गांव के लोग भाग लेने जाते हैं.

गांव के लोगों को देते हैं समयः गांव में उनके चाचा चाची, चचेरा भाई आदि का खेती से ही गुजारा होता है. गांव में अगर आबादी की बात करें तो यह इलाका ब्राह्मण बहुल है. इसके अलावा रविदास और कुर्मी जाति के लोग भी रहते हैं. वहीं मुसलमान की भी अच्छी खासी संख्या है. प्रशांत किशोर के पिताजी का एक राइस मिल भी था, जो फिलहाल बंद हो गया है. गांव के लोगों का कहना है कि जब भी उनसे मिलने जाते हैं तो वह जरूर समय देते हैं. छोटी-मोटी समस्याएं अगर होती है तो उसके लिए वह प्रयास भी करते हैं.

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"प्रशांत किशोर की पुश्तैनी मकान की देख रेख करते हैं. उनका कम आना जाना होता है, पर कभी कभार पर्व त्योहार में आते हैं. प्रशांत किशोर का राजनीति में जिस तरह से कद बढ़ा है गांव के लोग काफी खुश हैं."- केदार पांडे, गोतिया

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

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Last Updated : Aug 15, 2024, 10:29 PM IST

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