रोहतास : बिहार की राजनीति में इन दिनों प्रशांत किशोर खूब चर्चा में हैं. दो अक्टूबर को पार्टी का गठन करने वाले हैं. पटना में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उनसे जुड़े हैं. इनमें भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति और चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी शामिल हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज, बिहार के लोगों को एक विकल्प देगी. प्रशांत किशोर के पैतृक गांव में इस बात को लेकर खुशी है.
रोहतास के रहनेवाले हैं पीके: आप में बहुत से लोगों को यह पता होगा कि प्रशांत किशोर बक्सर के रहनेवाले हैं. यह ठीक है, लेकिन बक्सर उनका पैतृक गांव नहीं है. प्रशांत किशोर का पैतृक गांव रोहतास जिला के कोनार में है. कोनार गांव, जिला मुख्यालय सासाराम से 8 किलोमीटर दूर सासाराम-चौसा पथ पर स्थित है. सड़क किनारे ही प्रशांत किशोर का मकान है, जो इनके दादा तथा पिता ने बनवाया था. इसी गांव में ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनके गोतिया व रिश्तेदारों से बात की.
"प्रशांत किशोर गांव के हैं. राजनीति में आगे बढ़ें, उनके आगे बढ़ने से देश और बिहार की तरक्की तो होगी ही हमारे गांव का भी विकास होगा. उन्हें हम सब बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं."- जितेंद्र पांडे, रिश्तेदार
डॉक्टर थे पीके के पिताः प्रशांत किशोर के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे इलाके के प्रसिद्ध चिकित्सक थे. बाद में करगहर में उनका पदस्थापना हुआ. इसी दौरान प्रशांत किशोर कुमार का परिवार कोनार से निकलकर बक्सर में शिफ्ट कर गया. प्रशांत किशोर अपने माता-पिता के साथ बक्सर में रहने लगे. दो भाइयों में प्रशांत सबसे छोटे हैं. सासाराम चौसा पथ पर कोनार में 23 डिसमिल में इनका बड़ा सा पुश्तैनी मकान बना है, जो अब खाली पड़ा है. रिश्तेदार केदार पांडे मकान की देखरेख करते हैं.
पीके का कर रहे हैं इंतजारः उनके गांव के गोतिया, रिश्तेदार, पटीदार के लोग प्रशांत किशोर की तरक्की से काफी खुश हैं. गांव के लोग तथा गोतिया पटीदार के लोग कहते हैं कि उनके पिता डा. श्रीकांत पांडे से भी प्रशांत किशोर कहीं आगे निकल गए. उनके पिता भी काफी समाजिक थे तथा लोगों की हमेशा मदद किया करते थे. कोनार गांव तथा आसपास के किसी मरीज से आज तक उन्होंने फीस नहीं ली. इलाज कराने जाने पर उनके पिता मरीजों को दवाइयां भी अपनी ओर से दे देते थे. आज उनके गांव को प्रशांत किशोर का इंतजार है.