भागलपुर: बिहार में शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों की स्थिति बेहद दयनीय हो गयी है. महज 8000 रुपये की तनख्वाह पर वो काम कर रहे हैं. इन शिक्षकों का कहना है कि इस वेतन में परिवार का भरण-पोषण करना असंभव हो गया है. अपनी समस्याओं को लेकर कई सालों से पत्राचार और शिकायत कर रहे हैं. इसके बावजूद सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया. लिहाजा वो सड़क पर उतरने को विवश हैं.
शिक्षकों के प्रदर्शन का अनोखा तरीका: वेतन से असंतुष्ट शारीरिक शिक्षकों ने समान काम समान वेतन, पूर्णकालिक राज्य कर्मी का दर्जा देने जैसी मांगों के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है. दर्जनों शिक्षक भागलपुर के तिलकामांझी इलाके में कटोरा लेकर भिक्षाटन करते नजर आए. उन्होंने राहगीरों, ई-रिक्शा चालकों और फुटपाथ पर खड़े विक्रेताओं से भीख मांगते हुए अपनी पीड़ा को बयां किया.
महंगाई के दौर में जिंदगी की जद्दोजहद जारी: शिक्षिका प्रेरणा महतो ने कहा कि महंगाई के इस दौर में 8 हजार रुपये तनख्वाह में बच्चों की पढ़ाई और परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं है. शारीरिक शिक्षकों का कहना है कि वेतन वृद्धि के लिए उन्होंने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और सरकार तक अपनी बात पहुंचायी लेकिन उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया गया.
"इतनी कम तनख्वाह में बच्चों की पढ़ाई और घर चलाना काफी मुश्किल हो गया है. सरकार ने हमे तीन साल से 8000 रुपये वेतन मान पर रखा है."-प्रेरणा महतौ, शिक्षिका