जयपुर : राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय के फोन टैपिंग मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में एफआईआर को निरस्त करने के लिए लगाई याचिका वापस ले ली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है. हाईकोर्ट के निर्देश पर लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर अब तक लगी रोक भी हट गई है. ऐसे में अब दिल्ली पुलिस लोकेश शर्मा को गिरफ्तार करने के लिए स्वतंत्र है.
लोकेश शर्मा का कहना है कि 25 सितंबर को पूछताछ के दौरान उन्होंने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को अपना बयान दर्ज करवा दिया है. इसके साथ ही सबूत भी सौंप दिए हैं. उनकी तरफ से जांच एजेंसी को बयान दर्ज करवाने के बाद हाईकोर्ट में दर्ज याचिका का कोई औचित्य नहीं रह गया था. उन्होंने अपने वकील नितिन सलूजा के जरिए याचिका वापस लेने की अर्जी लगा रखी थी. आज उस मामले में सुनवाई थी. इस सुनवाई में कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अर्जी मंजूर कर ली है.
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दरअसल, फोन टैपिंग को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली में 2021 में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. इस प्राथमिकी को रद्द करने के लिए लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी के चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी. लोकेश शर्मा ने यह याचिका वापस लेने की अर्जी लगाई थी. जिसे गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है.
जानिए क्या है यह पूरा मामला :राजस्थान की सियासत में 2021 में हुई उठापटक को लेकर कुछ ऑडियो वायरल हुए थे. दावा किया गया था कि कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त का प्रयास हुआ था. यह ऑडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की ओर से जारी किए गए थे. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा था. गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में फोन टैपिंग को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसमें लोकेश शर्मा का नाम था.
लोकेश शर्मा से दिल्ली में हो चुकी है पूछताछ :गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दर्ज करवाए गए मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारी लोकेश शर्मा से पूछताछ कर चुके हैं. इस मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 25 सितंबर को उनसे पूछताछ की थी. इस पूछताछ से पहले और बाद में लोकेश शर्मा ने फोन टैपिंग को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें पेन ड्राइव में ऑडियो मीडिया में जारी करने के लिए अशोक गहलोत ने दिया था. उस पेन ड्राइव में ऑडियो कहां से आया. इस संबंध में जांच होनी चाहिए.