लखनऊ:पीजीआई डॉक्टर रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग के पांच और सदस्य यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़ गए. एसटीएफ ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया है. अब तक इस पूरे मामले में 14 ठग गिरफ्तार हो चुके हैं. गैंग से जुड़े अन्य गुर्गों की भी एसटीएफ तेजी से तलाश में जुटी है. पीजीआई की डॉक्टर रुचिका टंडन को इन ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर दो करोड़ 81 लाख रुपए ठग लिए थे.
स्पेशल टास्क फोर्स के डीएसपी दीपक कुमार के मुताबिक, मुखबिर से सूचना मिली थी कि ठग गैंग के कुछ सदस्य लखनऊ के पॉलिटेक्निक चौराहा के वेब मॉल के पास खड़े हैं. तुरंत एसटीएफ की टीम पॉलिटेक्निक चौराहा पहुंची और गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्त में ले लिया. गैंग के सदस्यों की पहचान बिहार के सीतामढ़ी के सुरसंड के रहने वाले ऋषिकेश कुमार उर्फ मयंक, पटना के बाढ़ का निवासी गोपाल कुमार उर्फ रोशन, बिहार के ही समस्तीपुर जिले का रहने वाला गणेश कुमार, चंदौली के सकलडीहा निवासी मणिकांत पांडेय और वाराणसी के सारनाथ निवासी राजेश गुप्ता के रूप में की गई है.
एसटीएफ ने बताया कि गिरफ्तार पांचों आरोपियों के पास से 2.42 लाख रूपए, 15 चेक बुक, 18 एटीएम, पांच यूपीआई स्कैनर, सात मोबाइल और दो लैपटॉप भी बरामद किए गए हैं. कड़ाई से पूछताछ करने पर उन्होंने ये भी बताया कि, टेलीग्राम एप पर हैकरों के अकाउंट से लोगों का डाटा चुरा लेते थे. उसके बाद उनके विषय में जानकारी जुटते थे फिर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे.
एसटीएफ की पूछताछ में गिरोह से सदस्यों ने बताया कि गिरोह के सभी सदस्यों का अपना-अपना काम बंटा हुआ है. ऋषिकेश उर्फ मयंक, गोपाल उर्फ रोशन उर्फ राहुल और गणेश लोगों से बात करने का काम करते था. मणिकांत पांडे उर्फ मिश्रा और राजेश गुप्ता बैंक खाते और इंटरनेट बैंकिंग के आईडी पासवर्ड की व्यवस्था करते हैं. इसके लिए लोगों को पैसा देकर उनकी आईडी से खाता खुलवाते थे. इसके बाद उस खाते के एटीएम, पासबुक, चेक बुक और रजिस्टर्ड मोबाइल का सिम अपने पास रख लेते थे जिससे वन टाइम पासवर्ड की कोई समस्या न होने पाए.
साइबर ठगी मामले में 5 सितंबर को तीन ओर गिरफ्तारी (Photo Credit; ETV Bharat) एसटीएफ ने ये भी जानकारी दी है कि ओडिशा के बरगढ़ टाउन की रहने वाली हरिप्रिया प्रधान साइबर ठगी के इस गिरोह को रन कर रही थी. हरिप्रिया के अलावा प्रयागराज छोटा बघाड़ा का रहने वाला जितेंद्र कुमार यादव और गाजीपुर के भुरकुंडा के हितेश को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. पूछताछ में गैंग के सदस्यों ने ये भी बताया है कि खुद को पुलिस और सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को धमकी देकर अपने जाल में फंसाते थे. उसके बाद जानकारी लेकर उनके खाते से अपने खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लेते थे, फिर उन रूपयों को बॉयनेंस ऐप पर थर्ड पर्सन के जरिए खातों में ट्रांसफर करवाते थे. पूछताछ में ये भी जानकारी दी गई कि ये लोग ठगे गए रुपए से क्रिप्टो करेंसी को ऑनलाइन खरीद कर ऑनलाइन ही बेच देते थे.
डिजिटल अरेस्ट मामले में सबसे पहले छह ठग हुए गिरफ्तार (Photo Credit; ETV Bharat) बता दें कि, पीजीआई की डॉक्टर रुचिका टंडन ने 10 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें आरोप लगाई थी कि, एक अगस्त को एक कॉल आई थी. कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया था. उसके बाद उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग सप्लाई का आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट करने की बात कही. इसके बाद 2 करोड़ 81 लाख रुपए ठग लिए. बता दें कि पुलिस ने इस मामले में 30 लाख रुपए की रिकवरी कर ली लेकिन अभी तक शेष रकम की रिकवरी नहीं हो पाई है.
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