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दलित छात्र को पीटने वाली टीचर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक - HIGH COURT ORDER

हमीरपुर जिले में स्थित स्कूल की अध्यापिका पर छात्र को पीटने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराया गया है मुकदमा

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 8:50 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नस्लीय घृणा के कारण दलित छात्र को पीटने की आरोपी शिक्षिका के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है.

याची अदा परवीन हमीरपुर जिले के स्कूल में अध्यापिका हैं. अदा परवीन पर पर एक छात्र को पीटने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि इस कारण छात्र बीमार पड़ गया. पीड़िता की मां की शिकायत के बाद टीचर पर आईपीसी की धारा 323 और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के खिलाफ महिला टीचर ने हाईकोर्ट में चुनौती याचिका दायर की है.

एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका में तर्क दिया गया कि एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) के तहत अपराध की घटना को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है. क्योंकि किसी भी स्वतंत्र गवाह ने मामले का समर्थन नहीं किया. यह भी कहना था कि याची टीचर छात्र को होमवर्क पूरा न करने के लिए सिर्फ डांटा था. मेडिकल अफसर ने पीड़ित के शरीर पर किसी भी तरह की चोट से इनकार किया है.

याचिका में कहा गया कि अभियोजन पक्ष की पूरी कहानी अटकलों पर आधारित है. पीड़ित के दलित समुदाय का सदस्य होने के कारण मारपीट करने, जाति-संबंधी अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने या उसे नुकसान पहुंचाने के संबंध में कोई विशेष आरोप नहीं लगाया गया है. कोर्ट ने मामले पर विचार कर याची के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

इसे भी पढ़ें-बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए हटाया गया अतिक्रमण, सरकार ने हाई कोर्ट को दी जानकारी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नस्लीय घृणा के कारण दलित छात्र को पीटने की आरोपी शिक्षिका के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है.

याची अदा परवीन हमीरपुर जिले के स्कूल में अध्यापिका हैं. अदा परवीन पर पर एक छात्र को पीटने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि इस कारण छात्र बीमार पड़ गया. पीड़िता की मां की शिकायत के बाद टीचर पर आईपीसी की धारा 323 और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के खिलाफ महिला टीचर ने हाईकोर्ट में चुनौती याचिका दायर की है.

एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका में तर्क दिया गया कि एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) के तहत अपराध की घटना को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है. क्योंकि किसी भी स्वतंत्र गवाह ने मामले का समर्थन नहीं किया. यह भी कहना था कि याची टीचर छात्र को होमवर्क पूरा न करने के लिए सिर्फ डांटा था. मेडिकल अफसर ने पीड़ित के शरीर पर किसी भी तरह की चोट से इनकार किया है.

याचिका में कहा गया कि अभियोजन पक्ष की पूरी कहानी अटकलों पर आधारित है. पीड़ित के दलित समुदाय का सदस्य होने के कारण मारपीट करने, जाति-संबंधी अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने या उसे नुकसान पहुंचाने के संबंध में कोई विशेष आरोप नहीं लगाया गया है. कोर्ट ने मामले पर विचार कर याची के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

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