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आपातकाल का दंश आज भी है ताजा, इतिहासकार ने बताई आपबीती,जानिए काले दौर की हकीकत - emergency in india

Period of emergency in india आज पूरे देश सहित छत्तीसगढ़ में आपातकाल को याद किया जा रहा है. इसकी याद में बीजेपी ने काला दिवस मनाने का ऐलान किया है.आज भी छत्तीसगढ़ में कई लोग ऐसे हैं जिनके जहन में आपातकाल की काली यादें ताजा हैं. उन्हीं में से एक हैं डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र.जिन्होंने ईटीवी भारत के सामने आपातकाल के काले अध्याय के कुछ पन्ने उलटे.emergency in Chhattisgarh

Period of emergency in india
आपातकाल का दंश आज भी है ताजा (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 25, 2024, 8:33 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में आपातकाल की चर्चा की जाएगी तो आज भी उस दौर के लोग मिल जाएंगे.जिन्होंने गिरफ्तारियां दी और यातनाएं झेली.वहीं कई लोग ऐसे हैं जो गिरफ्तार तो नहीं हुए लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से मुश्किल दौर को जीया.इन लोगों में राजनीतिक दलों के नेता , बुद्धिजीवी, साहित्यकार, पत्रकार, युवा और छात्र भी शामिल थे.आपातकाल का दंश सभी ने झेला.

आपातकाल का दंश आज भी है ताजा (ETV Bharat Chhattisgarh)

आपातकाल का दंश अब भी है ताजा:आपातकाल का दंश झेलने वालों में एक नाम डॉक्टर रमेंद्र नाथ मिश्र का भी है. जो उस दौर में गिरफ्तार तो नहीं हुए. लेकिन आपातकाल को उन्होंने काफी नजदीक से देखा है. रमेंद्र नाथ आपातकाल काल के दौरान शैक्षिक संस्थानों में व्याख्यान देने जाते थे. उस बीच एलआईबी की नजर हमेशा उन पर होती थी. बावजूद इसके वे निर्भिक होकर अपना व्याख्यान देते. इतना ही नहीं वे तात्कालिक स्थिति के बारे में भी विस्तार से छात्र छात्राओं और युवाओं को बताते थे. यह बातें इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्र नाथ मिश्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कही.



डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि उनका मानना है कि यदि आपातकाल नहीं लगा होता ,तो आज की राजनीति दूसरी होती. आपातकाल लगने से देश की जनता में समग्रता और जागृति देखने को मिली. उस दौरान सभी वर्ग के लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पत्रकार,साहित्यकार, बुद्धिजीवी तक को नहीं छोड़ा था. डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि एक शिक्षक होने के नाते मैंने आपातकाल को भोगा और यथार्थ देखा है. उसे दौरान आप लिख नहीं सकते थे, बोल नहीं सकते थे, यह कौन सा प्रजातंत्र है.

''उस दौरान सच्चिदानंद उपासने सहित कई नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.जेल में इन लोगों को काफी यातनाएं भी दी गई थी, हालांकि आज की स्थिति में उन्हें काफी सम्मान दिया जा रहा है. लेकिन उस दौरान छात्र शिक्षक हर वर्ग को जेल में बंद कर दिया गया था, जब उनसे गिरफ्तारी का कारण पूछा जाता है तो कहते थे कि बाद में बताएंगे.''- डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र,इतिहासकार

चाहता था कि मैं गिरफ्तारी दूं :डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि उस दौरान मैं भी गिरफ्तारी के लिए तैयार था, मैंने अपना मन बना लिया था, कि चाहे मुझे गिरफ्तार किया जाए, या जो भी हो, लेकिन मैं अपनी बात निर्भीकता से लोगों के सामने रखूंगा. ऐसा मैंने उसे आपातकाल में किया भी. मुझे गिरफ्तारी से कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन मैंने उसे समय छात्रों और युवाओं को जागृत किया. प्रदेश में अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश की, जिससे अशांति ना फैले.

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