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सोहराय के गढ़ में पहचान बनाती मधुबनी पेंटिंग, कला की हो रही खूब तारीफ - MADHUBANI PAINTING

हजारीबाग में लोगों को मधुबनी पेंटिंग बहुत पंसद आ रही है. लोगों को इसकी कलाकारी भा रही है.

Madhubani painting
हजारीबाग में मधुबनी पेंटिंग (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 9, 2024, 7:50 PM IST

हजारीबाग: बिहार के मधुबनी जिले की विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग अब हजारीबाग में भी दिखने लगी है. हजारीबाग के लोग भी इस कला को पसंद कर रहे हैं. हजारीबाग सोहराय और कोहबर के लिए जाना जाता है. सोहराय कोहबर की दुनिया में भी लोग मिथिला पेंटिंग को पसंद कर रहे हैं.

सोहराय और कोहबर कला के लिए हजारीबाग की पहचान पूरे देश में रही है. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सोहराय पेंटिंग भेंट की थी. इससे भी इस कला को नया आयाम मिला. अब हजारीबाग में मिथिला पेंटिंग की मांग भी बढ़ रही है. कलाकार मिथिला पेंटिंग के जरिए अपनी पहचान बनाने को आतुर हैं. इसकी बानगी तब देखने को मिली जब हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान आर्ट गैलरी में मिथिला पेंटिंग अपनी खूबसूरती बिखेर रही थी.

हजारीबाग में मधुबनी पेंटिंग (Etv Bharat)

मिथिला पेंटिंग के बारे में कलाकार रश्मि झा ने कहा कि बिहार में मिथिला पेंटिंग की काफी मांग है. अब झारखंड में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग बनाने में काफी मेहनत लगती है और काम बड़ी बारीकी से होता है. लोगों को यह काफी पसंद आ रहा है. इसलिए इसकी काफी मांग है. रश्मि ने बताया कि मिथिला पेंटिंग बनाकर हम रोजगार भी कमा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मथुबनी पेंटिंग पारंपरिक रूप से मधुबनी शहर के आसपास के गांवों की महिलाएं करती थीं. इसे मिथिला पेंटिंग भी कहते हैं. यह कला नेपाल के तराई क्षेत्र के आसपास के इलाकों में फैली हुई है. मधुबनी पेंटिंग की उत्पत्ति रामायण काल ​​से मानी जाती है. जब मिथिला के राजा ने सीता और राम के विवाह के अवसर पर अपने राज्य के लोगों से अपने घरों की दीवारों और फर्श को पेंट करने के लिए कहा था. लोगों का मानना ​​था कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं. मधुबनी पेंटिंग का हुनर ​​पीढ़ी दर पीढ़ी ज्यादातर महिलाओं द्वारा हस्तांतरित किया जाता रहा है.

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