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जवानी में बूढ़ा बना देता है ये पानी, फ्लोरोसिस से पूरा गांव तबाह.. बिहार के चुरामन नगर की कहानी - CHURAMAN NAGAR

बिहार के गया जिले का एक ऐसा गांव, जहां लोग पानी के नाम पर धीमा जहर पी रहे हैं. सरताज की ग्राउंड रिपोर्ट

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बिहार के गांव के पानी में खतरनाक जहर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 7, 2025, 4:50 PM IST

Updated : Feb 7, 2025, 4:59 PM IST

गया:बिहार के गयाके चुरामन नगर गांव निवासी विनय मांझी बताते हैं कि"36 साल के हुए तब शारीरिक कठिनाई शुरू हुई. पहले कमर और पैरों में दर्द होना शुरू हुआ. फिर धीरे-धीरे मेरी शारीरिक हालत ही बदल गई. ये हालत प्रदूषित पानी की वजह से हुई है."

कैलिया देवी अपना दुख दर्द बयान करते हुए कहती हैं कि "मेरे चार बच्चे हैं और चारों विकलांग हैं. जब मेरे बच्चे चार-पांच साल के थे, तभी दिव्यांग हो गए थे. मेरी भी कमर झुक गई है. दिव्यांग बेटी की शादी दहेज देकर करनी पड़ी, वो भी गरीब घर में. पानी ने पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी."

देखें ये रिपोर्ट (ETV Bharat)

गांव के ही सुमित बताते हैं कि "मैं 5 साल की उम्र में विकलांग हो गया. मेरे दोनों पैर टेढ़े हैं, ऐसा लगता है कि जैसे पैर पर गाड़ी चढ़ गई और वो टूट कर टेढ़े हो गये हों. गरीबी में भी माता पिता ने इलाज करवाया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ."

फ्लोराइड युक्त पानी पीने से पूरा गांव बीमार : बिहार के गया जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर चूरी पंचायत क्षेत्र के चुरामन नगर गांव के हर घर में आपको ऐसी कहानी देखने को मिल जाएगी. गांव में लगभग 150 घर हैं, जिनमें करीब 60 फीसदी घरों में कम से कम एक सदस्य विनय जैसी बीमारी से पीड़ित है. उन्हें यह बीमारी भूजल में फ्लोराइड प्रदूषण के कारण हुई है.

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

जवानी में बूढ़ा बना देता है ये पानी : चुरामन नगर में हर उम्र के लोग फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं. बच्चे भी इस धीमे जहर की जकड़ में आते जा रहे हैं. इस बीमारी के होने पर युवा, बुजुर्ग सा दिखने लगता है. यह बीमारी इंसान में तब होती है, जब वो तय मानक से अधिक फ्लोराइड युक्त पानी का इस्तेमाल करें.

हाथ पैरों के जोड़ों में जकड़न की बीमारी : गया के विनय मांझी के पैरों की हड्डियां सिकुड़ने लगी है. वो अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते. सहारा देकर उन्हें उठाया बैठाया जाता है. वो लोहे की वॉकर पकड़ कर खड़े होते हैं, लेकिन वो भी उनके लिए काफी नहीं है, क्योंकि खड़े होने पर उनके पैर कांपते रहते हैं.

"सहारे से खड़ा होता हूं. गर्दन और कमर नीचे की ओर झुकी रहती है. सहारे से भी चंद कदम ही चल पाते हैं. प्रदूषित पानी की वजह से ऐसी हालत हुई है. बोधगया के बकरोर गांव में एक वैध से इलाज करवाया. 25 हजार खर्च हो चुका है, अब पैसा नहीं है कि आगे इलाज कराएं. मेरी पत्नी मजदूरी करती है, तभी घरबार चलता है. एक बेटी और दो बेटे हैं और वो छोटे हैं. गांव की पहाड़ी के पास सरकारी मध्य विद्यालय में पढ़ने कभी कभार जाते भी हैं."- विनय मांझी, दिव्यांग ग्रामीण, चुरामन नगर

विनय मांझी (ETV Bharat)

'8 महीने पहले तक ठीक था मेरा दोस्त': विनय के दोस्त कृष्ण मांझी बताते हैं कि विनय आठ महीने पहले तक ठीक था. वो हमारे साथ काम भी करता था. गांव में कुछ लोग ऐसे हैं जो बचपन से विकलांग हैं, लेकिन विनय मांझी ऐसा नहीं था.

"वो मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था, लेकिन अब तो वो सहारे से भी चल नहीं पाता है. देखकर अफसोस होता है. इस तरह की बीमारी का मामला सिर्फ विनय के साथ नहीं है, बल्कि जहां वो रहता है उस गांव के अधिकतर घरों की कहानी है."- कृष्ण मांझी, विनय मांझी के दोस्त

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

'दहेज देकर गरीब घर में करनी पड़ी शादी': विनय मांझी की तरह कैलिया देवी की भी कहानी एक जैसी है. बहादुर बीघा टोले की कैलिया देवी का पूरा परिवार दिव्यांग है. वे बताती हैं कि शादी विवाह में बड़ी समस्या होती है. दहेज देकर बेटी की शादी गरीब घर में करनी पड़ी. बता दें कि गांव में तीन टोला, चुरामन नगर वार्ड नंबर 9, चमन डीह वार्ड नंबर 10 और 11 और बहादुर बीघा है. पूरे चुरामन नगर गांव में 90 से 100 परिवार मांझी समुदाय से हैं. जबकि कुछ परिवार चौधरी, पासी और दूसरे समुदाय से हैं.

"घर में पांच सदस्य हैं. इनमें किसी का हाथ पैर टेढ़ा है तो किसी के पैर हाथ टेढ़े होने के कारण फैल गए हैं. दो बेटे अर्जुन उम्र 25 साल और शंकर चौधरी उम्र 22 साल और एक बेटी विचिंतर है जो फ्लोराइड पानी के कारण विकलांग हो गई. फ्लोराइड युक्त पानी के कारण मेरे बच्चे विकलांग हो गए, वो पैदाइशी विकलांग नहीं थे."- कैलिया देवी, ग्रामीण, चुरामन नगर

कैलिया देवी (ETV Bharat)

'नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ': कैलिया देवी ने सरकारी योजनाओं को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं है. पहले दिव्यांग बच्चों को पेंशन की सुविधा मिलती थी लेकिन अब वो भी बंद हो गई है. साथ ही उन्होंने बताया कि हमें तो अपनी उम्र का सही पता नहीं लेकिन 50 साल के लगभग उम्र है. अब तो हम खुद कुछ वर्षों से सीधे नहीं खड़े हो पाते हैं.

'जांच में कई गुना अधिक पाया गया फ्लोराइड': पंचायत के मुखिया उदय पासवान कहते हैं कि 'गांव के भूजल में फ्लोराइड का स्तर स्वीकार्य सीमा से कई गुना ज्यादा जांच में बताया गया है. इस पर स्वास्थ्य विभाग और लोक स्वस्थ अभियांत्रिकी विभाग की ओर से कई बार जांच भी हुई है, जिसमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई है.'

'इस लायक नहीं हूं कि खेतों में जाकर मजदूरी करूं' : गांव के मांझी टोले में ईटीवी भारत संवाददाता पहुंचे तो उनकी मुलाकात 28 साल के ग्रेजुएट दिव्यांग सुमित से हुई. वो एक रूम में कुर्सी पर बैठकर ऑनलाइन फॉर्म भर रहे था. सुमित ने बताया कि उन्होंने मिर्जा गालिब कॉलेज गया से ग्रेजुएशन किया. नौकरी के लिए कई परीक्षा दी, लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हो सकी. कहा अब इस लायक नहीं हूं कि खेतों में जाकर मजदूरी करूं. पढ़ा-लिखा हूं, इसलिए गांव में ही साइबर कैफे खोल लिया है.

"ज्यादा काम तो नहीं है पर इतना है कि अपना खर्चा भर कमा लेते हैं. इसी से अभी भी हम अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. दो भाई हैं दोनों सरकारी सेवा में है. मैं भी रेलवे की तैयारी में लगा हूं. विकलांगता का सर्टिफिकेट बना हुआ है, लेकिन लाभ नहीं मिलता है."- सुमित, ग्रामीण, चुरामन नगर, मांझी टोला

पांच साल की उम्र में सुमित का पैर हुआ खराब (ETV Bharat)

खटिया से उठ भी नहीं पाते महिंद्र मांझी : महिंद्र मांझी अपने दोनों पैर को नहीं उठा पाते हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर ने बताया कि लकवा मार दिया है. ऐसा डॉक्टर का कहना है लेकिन मुझे तो लगता है कि पानी की खराबी के कारण ऐसा हुआ है. हम मजदूरी करते थे. शरीर में दर्द रहता था, लेकिन लगता था कि थकावट के कारण ऐसा हुआ होगा. पिछले चार महीने पहले अचानक खटिया से उठ नहीं पाए.

"परिवार के लोग डॉक्टर के यहां लेकर गए तो डॉक्टर बोला लकवा मार दिया है, इलाज महंगा था इसलिए छोड़ दिया. अब पत्नी काम करती है और वो ही पांच बच्चों का पालन पोषण करती है. घर पर बैठ कर हमारे पास रोने के अलावा कुछ नहीं है."- महिंद्र मांझी, ग्रामीण, चुरामन नगर

फ्लोराइड युक्त पानी पीने से दिव्यांग हो रहे ग्रामीण (ETV Bharat)

फ्लोराइड की कितनी मात्रा कर सकती है प्रभावित? : जिला जनित रोग नियंत्रण के पदाधिकारी डॉक्टर एमए हक कहते हैं कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा पीपीएम में मापा जाता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के तय मानक के अनुसार पीने के पानी में नार्मल फ्लोराइड 1 पीपीएम होना चाहिए. 1 से 3 मिलीमीटर होने पर सीधे दांतों पर प्रभाव पड़ता है. दांत सड़ने लगते हैं. जबकि 3 से अधिक पीपीएम होने पर हड्डी पर प्रभाव दिखेगा.

"तीन पीपीएम से अधिक होने पर अगर कोई पानी पीता है तो वो विकलांग हो सकता है. पिछले साल 2024 में चुरामन नगर गांव मैं अपनी टीम के साथ गया था. वहां लोगों के स्वास्थ्य की जांच की. कैल्शियम की दवा का भी वितरण किया गया. विकलांगता प्रमाण पत्र भी जांच कर दिए गए थे. गांव में कुछ लोगों का जिनको इसका लक्षण था उनके यूरिन टेस्ट भी अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजवाया गया. यूरीन की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी."- डॉक्टर एमए हक, पदाधिकारी, जिला जनित रोग नियंत्रण

खटिया से नहीं उठा पाते कई लोग (ETV Bharat)

फ्लोरोसिस से 12 ब्लॉक प्रभावित : जिले में 24 ब्लॉक हैं, उसमें आधे ब्लॉक यानी 12 ब्लॉक के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक पाई जाती है. इनमें नगर चंदौती ब्लॉक का चुरामन नगर, आमस ब्लॉक का भूपनगर गांव भी है. यहां फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. डॉ एम ए हक बताते हैं कि जीटी रोड 2 के किनारे कई गांव में भी फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक पाई जाती है.

क्या होता है फ्लोराइड? : फ्लोराइड एक खनिज है जो प्राकृतिक रूप से भूजल में पाया जाता है. यदि फ्लोराइड का अधिक सेवन किया जाए तो यह हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे वो कमजोर हो जाती हैं और इस कारण कई समस्या पैदा होती है. फ्लोराइड से शरीर पर कई तरह का प्रभाव पड़ता है. इससे दांत भी खराब होते हैं और चर्म रोग की भी समस्या होती है. भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार पानी में फ्लोराइड की स्वीकार्य सीमा एक मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए.

2016 में 3.44 मिलीग्राम लीटर फ्लोराइड : चुरामन नगर गांव की ये समस्या वर्षों पुरानी है. कई बार भूजल के नमूनों की जांच हुई है. इस में एक रिपोर्ट लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की 2016 की भी है. 2016 में गांव में भूजल के नमूनों की जांच की गई थी, जिसमें पाया गया था कि फ्लोराइड का स्तर 3.44 मिलीग्राम लीटर है.

"अभी हाल में पिछले वर्ष 2024 में भी गांव में विभाग की ओर से भूजल का नमूने लेकर जांच कराई गई थी. हालांकि भूजल का नमूना सरकारी बोरिंग से लिया गया था. लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग गया की ओर से गांव में एक बोरिंग करा कर हैंड पंप लगवाया गया है. 2024 में लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग गया ने चुरामन नगर गांव के उस बोरिंग के जल के नमूनों की जांच की जिसमें फ्लोराइड की मात्र कम पाई गई, यानी कि उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी."- अभिशांत राज, अभियंता, लोक स्वास्थ्य विभाग

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

'मिलता नहीं पानी': लहरिया देवी कहती हैं कि "पानी की सबसे बड़ी समस्या है. एक तो पानी नहीं मिलता है और जो मिलता है वो भी खराब पानी है. इस कारण यहां लोग लंगड़े हो जाते हैं. प्रशासन और सरकार के लोग आते हैं, जांच के नाम पर पानी के नमूने ले जाते हैं और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है."

वाटर प्यूरीफायर मशीन खराब: गांव में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने पर लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास कुछ समय पहले हुआ था. बिहार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने कुछ सालों पहले वॉटर प्यूरीफायर मशीन लगवाई थी, लेकिन अब यह मशीन पिछले कई सालों से खराब पड़ी हुई है. स्थानीय वार्ड सदस्य कृष्ण मांझी बताते हैं कि यहां मशीन के रखरखाव और चालू करने के लिए राम प्रवेश मांझी को रखा गया था.

"उन्हें इसके लिए शुरू में 2000 रुपये भी मिलते थे, लेकिन बाद में वो भी बंद हो गया. अब तो मशीन ही बंद हो गई है. इसको देखने के लिए अब तक कोई नहीं आया है."- कृष्ण मांझी, स्थानीय वार्ड सदस्य

संस्था की ओर से लगा था वाटर एड: स्थानीय मुखिया उदय पासवान बताते हैं कि पानी को स्वच्छ बनाने के लिए जो दवा का उपयोग होता था, वह एक बार के बाद दोबारा विभाग की ओर से नहीं भेजा गया. गांव के कुछ घरों में वाटर एड मशीन लगवाई गई थी, उनमें भी अधिकतर खराब पड़ी हैं. जिनके यहां वह काम मशीन कर रही है वही स्वच्छ पानी पी रहे हैं. जबकि अभी भी अधिकांश परिवार फ्लोराइड दूषित पानी पी रहे हैं.

गांव में 150 घर पर सिर्फ तीन चापाकल (ETV Bharat)

अभियंता को नहीं मशीन खराब होने की जानकारी : लोक स्वास्थ्य विभाग गया के अभियंता को वॉटर प्यूरीफायर मशीन खराब होने की सूचना नहीं है. पूछे जाने पर वह बताते हैं कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है. अगर खराब है तो वह उसकी जांच कर कर सही कराएंगे. उन्होंने कहा कि दो बोरिंग करने की अनुमति दी गई थी जिसमें एक हो चुकी है दूसरी भी जल्द होगी.

सात निश्चय का भी लाभ नहीं: चुरामन नगर गांव में सात निश्चय के तहत हर घर तक पाइप के जरिए स्वच्छ पेयजल नहीं पहुंच पाया है. गांव के मांझी टोला में किसी घर के बाहर नल नहीं दिखा. असल में 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हर घर तक पाइप के जरिए स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का वादा किया था. इसको लेकर उस समय स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से जारी पत्र में कई दावे भी किए गए थे. गांव में पाइप तो नहीं बिझाया गया लेकिन एक टंकी बनाई गई थी, जो अब खराब पड़ी है.

'खरीदकर पानी पी रहा दुर्गा चौधरी का परिवार': गांव के दुर्गा चौधरी स्वस्थ हैं और वह टोटो रिक्शा चलाते हैं. लेकिन प्रदूषित पानी को लेकर उनके डर को इससे समझा जा सकता है कि वह कहते हैं कF कमाई का एक हिस्सा हम पानी खरीदने में खर्च कर देते हैं. बच्चों को साफ पानी पिलाने का प्रयास करते हैं, क्योंकि हम तो पानी पीकर बड़े हुए और अभी तक बच गए. आगे क्या होगा इसका डर लगा रहता है.

"घर के बच्चे स्वस्थ और सही रहें इसको लेकर बड़े डब्बे का पानी खरीदते हैं. हम तो घर का पानी पी लेते हैं लेकिन डर लगा रहता है कि कभी हम भी विकलांग नहीं हो जाएं. मेरे परिवार में कुछ लोग दूषित पानी पीकर लुंज हुए हैं. मेरा एक मित्र मिथिलेश मांझी उम्र 25 साल मेरे साथ पढ़ा है, वह मैट्रिक पास है लेकिन 25 साल की उम्र में उसके पांव फैल गए."- दुर्गा चौधरी, ग्रामीण, चुरामन नगर

डॉक्टर का क्या कहना है?: फ्लोराइड से बचाव के लिए जिले में डॉक्टर संजय प्रसाद अभियान चलाते हैं. वो होम्योपैथ के डॉक्टर हैं. डॉ संजय प्रसाद बताते हैं कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से विभिन्न तरह की समस्याएं होती हैं, जैसे दातों के एनामेल के ऊपर सफेद धब्बे का होना, हड्डियों से संबंधित समस्याएं आना, जोड़ो में दर्द होना, विशेष कर डेंटो फ्लोरोसिस एवं बॉर्न फ्लोरेसिसी का खतरा बढ़ जाता है.

"जिले में ऐसी समस्या बढ़ रही है. चुरामन नगर और भूप नगर इसका उदाहरण है, जहां इससे बचाव के लिए सरकारी व्यवस्था नहीं पहुंची है. वहां हम लोग जाकर जागरुक करते हैं और लोगों को बताते हैं की बोरिंग के पानी को पहले उबाल लें और फिर उसको ठंडा कर सूती कपड़े से छान कर पिए. जिले के 12 ब्लॉक में तेजी से फ्लोराइड का असर बढ़ रहा है जिससे फ्लोरोसिस बीमारी के लोग शिकार हो रहे हैं."- संजय प्रसाद, डॉक्टर

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Last Updated : Feb 7, 2025, 4:59 PM IST

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