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गेहूं-धान या मक्का नहीं.. मोती उत्पादन से लाखों कमा रहे हैं किसान, जानें कैसे करें सीप पालन

बिहार के किसान आमतौर पर गेहूं-धान, मक्का, दलहन और तेलहन खेती करते हैं, लेकिन नए जमाने के किसान हटकर भी खेती कर रहे हैं.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

मसौढ़ी में सीप मोती की खेती
मसौढ़ी में सीप मोती की खेती (ETV Bharat GFX)

पटनाः बिहार के किसान अब मोती की खेती से आत्मनिर्भर हो रहे हैं. बिहार के अन्य जिलों में इसकी खेती हो रही है. अब पटना के मसौढ़ी के किसान भी इसकी खेती कर रहे हैं. मसौढ़ी के भखरा गांव के दो किसान तालाब और अपने घर के हौद में सीप से मोती पैदा कर रहे हैं. आत्मनिर्भर बनकर स्वावलंबी की राह पर चल पड़े हैं और मोती से मोटी कमाई कर रहे हैं.

मुंबई के वैज्ञानिक के निर्देशन में खेतीः मसौढ़ी के भखरा गांव में सर्वांनंद सिंह और लव कुमार सिंह सीप मोती की खेती कर रहे हैं. मुंबई के पर्ल वैज्ञानिक अशोक मलवानी के निर्देशन में मोती का उत्पादन किसानों को आकर्षित कर रहा है. किसान सर्वानंद सिंह का कहना है कि मोती उत्पादन के लिए मीठे जल वाले क्षेत्र के किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तभी मांग के अनुरूप मोती का उत्पादन होगा.

मसौढ़ी में सीप मोती की खेती (ETV Bharat)

"पांच एकड़ का तालाब इंटिग्रेटेड पर्ल फार्मिंग का बेजोड़ नमूना है. इसके अलावा तालाब के मेड़ पर सागवान, केला अखरोट के लगे पेड़ से झड़े सूखे पत्ते पेन्टान (मछली का भोजन) बन जाते हैं."- सर्वानंद सिंह, किसान

मसौढ़ी में सीप मोती की खेती (ETV Bharat)

सर्वानंद सिंह बताते हैं किउड़ीसा क्षेत्र में काम करने के दौरान ‘जनजाति’ के साथ काम करना शुरू किया. इस अवधि के दौरान ही उन्हें अपने गांव में इस तरह का कार्य करने की प्रेरणा मिली. लव कुमार सिंह जो युवा किसान हैं वह अपने घर में बड़े-बड़े हौद में सीप का पालन कर रहे हैं. सीप से मोती का उत्पादन कर रहे हैं.

"उड़ीसा से बीज मंगाया जाता है. घर में ही हौद में इसकी खेती की जाती है. इस खेती से अच्छा मुनाफा होता है. उड़ीसा में काम करने के दौरान इसकी खेती के बारे में जानकारी ली थी."-लव कुमार सिंह, किसान

मोती की खेती के लाभ (ETV Bharat)

कैसे बनता है मोतीः जिंदा सीप का मुंह खोल कर विभिन्न आकृति के कैल्शियम कार्बोनेट के टुकड़े सीप के अंदर डाल दिए जाते हैं. टुकड़ा डालने की प्रक्रिया के दौरान सीप से नैक्रे नामक केमिकल का स्राव होता है जो सीप में डाली गयी आकृति पर जम जाता जाता है. सीप जितने दिन जिंदा रहता है मोती उतना ही बड़ा होता है. ताजा पानी में सीपों का देखभाल के चरण के बाद तालाब डाला जाता है.

मसौढ़ी में सीप मोती की खेती (ETV Bharat)

इंटिग्रेटेड फार्मिंग नमुनाः मत्स्य वैज्ञानिक के अनुसार इंटिग्रेटेड फार्मिंग का यह जगह बेजोड़ नमूना है. कतला, रेहु आदि मछली बहते पानी में ब्रीडिंग करती हैं. लेकिन यहां ठहरे पानी में ब्रीडिंग मछली वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है. किसानों को जागरूक कर मीठे जल वाले क्षेत्र में मोती का उत्पादन इस क्षेत्र के लिए क्रांति लाएगा.

मोती की खेती में लागत (ETV Bharat)

किसान बताते हैं कि निर्माण की पूरी प्रक्रिया में 400 से 500 रुपए लगते हैं जबकि बाजार में एक मोती की कीमत लगभग 3500 रुपए होती है. सर्वानंद सिंह बताते हैं कि 'पांच एकड़ के तालाब में सीप का 5 हजार बीज डाले हैं. यह दूसरी बार है. पहली बार में कुछ नुकसान भी हुआ था तो कुछ फायदा भी हुआ है. इस बार मोटी कमाई की उम्मीद है.'

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