पटनाः सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर और बिहार में मल्लाहों की पॉलिटिक्स करने वाले वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनीएक बार फिर चर्चा में हैं. चर्चा इस बात कि क्या मुकेश 2020 वाली कहानी दोहराएंगे जब उन्होंने महागठबंधन की प्रेस-कांफ्रेंस के दौरान ही महागठबंधन छोड़ने का न सिर्फ एलान किया था बल्कि यहां तक कह दिया कि तेजस्वी यादव ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है. ये चर्चा इसलिए मौजूं है क्योंकि बिहार की सियासी फिजा में ये बात फैल रही है कि मुकेश NDA में वापसी कर सकते हैं.
पिता की हत्या के बाद घटीं दूरियांः 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुकेश सहनी महागठबंधन न सिर्फ हिस्सा रहे बल्कि तेजस्वी यादव के साथ उन्होंने पूरे बिहार में 250 से ज्यादा चुनावी सभाएं कीं. उन्हें लोकसभा की तीन सीटें भी मिली थी, ये अलग बात है कि सफलता एक पर भी नहीं मिली. चुनाव प्रचार के दौरान मुकेश सहनी ने NDA नेताओं के खिलाफ बड़े ही तीखे हमले भी बोले, लेकिन उनके पिता की निर्मम हत्या के बाद जिस तरह से NDA नेताओं ने उनके साथ सहानुभूति दिखाई उससे रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती दिख रही है.
एक दशक से बिहार की सियासत में सक्रियःखुद को सन ऑफ मल्लाह कहनेवाले मुकेश सहनी पिछले 10 सालों से बिहार की सियासत में सक्रिय है. 2014 में उनकी पार्टी ने चुनाव तो नहीं लड़ा लेकिन वे बीजेपी नेता अमित शाह के साथ चुनाव प्रचार करते जरूर नजर आए. 2015 का विधानसभा चुनाव भी मुकेश सहनी ने नहीं लड़ा लेकिन निषाद आरक्षण को लेकर उन्होंने सियासत तेज कर दी थी.
2019 में महागठबंधन का हिस्सा बनेः अभी तक NDA के ज्यादा नजदीक लग रहे मुकेश सहनी ने 2019 में पाला बदला और महागठबंधन का हिस्सा बन गये. महागठबंधन के सीट बंटवारे में उन्हें तीन सीट भी मिलीं, हालांकि किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी. इतना ही नहीं आरजेडी का भी खाता नहीं खुला और कांग्रेस सिर्फ किशनगंज की सीट जीत पाई, बाकी 39 सीटों पर NDA ने कब्जा किया.
तेजस्वी पर छुरा घोंपने का आरोपः 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी के महागठबंधन में बने रहने की सारी बातें करीब-करीब तय हो गयी थीं लेकिन मन मुताबिक सीट नहीं मिलने के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही मुकेश सहनी ने आरजेडी और महागठबंधन का साथ छोड़ने की घोषणा कर दी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया.
NDA के बैनर तले लड़ा 2020 का चुनावःमुकेश ने महागठबंधन छोड़ा और NDA के पाले में चले गये. NDA के सीट बंटवारे में मुकेश की पार्टी को 11 सीट मिलीं. उन्होंने खुद सिमरी बख्तियारपुर से लड़ा. हालांकि मुकेश तो चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे लेकिन उनकी पार्टी के 4 उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे. बाद में बीजेपी ने उन्हें एमएलसी बनाया और नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी बनवाया.
बीजेपी से मननुटाव, NDA से अलगाव:मुकेश सहनी और NDA का ये साथ ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया. बीजेपी और मुकेश सहनी के बीच मनमुटाव बढ़ा तो उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा. फिर उन्हें एमएलसी के लिए रिपीट भी नहीं किया गया. इस बीच मुकेश सहनी की पार्टी के 3 विधायक बीजेपी में शामिल हो गये तो एक विधायक का देहांत हो गया. विधायक के निधन के बाद खाली हुई सीट पर मुकेश सहनी ने उपचुनाव में भी किस्मत आजमाई लेकिन उन्हें एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा.
2024 में तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद साथी: 2024 के लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी उसी तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद साथी के रूप में उभरकर सामने आए, जिस तेजस्वी यादव पर 2020 में उन्होंने पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था. महागठबंधन में उन्हें लोकसभा की 3 सीट भी मिलीं. उन्होंने तेजस्वी के साथ चुनावी सभाओं में NDA पर कड़े प्रहार किए. पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया.
फिर डोल रहा है मुकेश का मन !: पिता जीतन सहनी की हत्या के बाद NDA नेताओं से मिली सहानुभूति और मुकेश के लिए दुःख की इस बड़ी घड़ी में तेजस्वी का साथ देर से मिलने के बाद बिहार की सियासत में कयासों का दौर शुरू हुआ. इन कयासों को और तब बल मिला जब मुकेश सहनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट का प्रोफाइल बदलकर तिरंगा लगा लिया. इतना ही नहीं NDA के कई नेता दावा करने लगे कि मुकेश सहनी जल्द ही NDA में वापसी करेंगे.