पटनाः2025 में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछने लगी है और सियासी दल सधे हाथों से अपनी चाल चलने लगे हैं. सोशल इंजीनियरिंग के जरिये समाज के एक-एक तबके को अपने साथ जोड़ने के लिए नित नये पैंतरे देखने को मिल रहे हैं. इस तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं जन सुराज यात्रा के सुत्रधार और रणनीतिकार प्रशांत किशोर. पटना के बापू सभागार में महिला संवाद का आयोजन कर PK ने बिहार के सियासी दलों को संदेश दे दिया है कि इस बार की लड़ाई और कठिन होनेवाली है.
आधी आबादी को साधने की कवायदःबिहार की सियासत में ये बात सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आधी आबादी पर जबरदस्त पकड़ है और कई बार आधी आबादी के अपार समर्थन से ही नीतीश ने चुनावी वैतरणी पार की है. ऐसे में बिहार की सियासत में तेजी से पैठ बना रहे प्रशांत किशोर भी आधी आबादी को साधने की बड़ी कवायद में जुटे हुए हैं.
महिला संवाद के जरिए दी चुनौतीः प्रशांत किशोर ने महिलाओं को जन सुराज से जोड़ने के लिए पटना के बापू सभागार में विशाल महिला संवाद का आयोजन किया. इस आयोजन में जिस कदर महिलाओं की भारी भीड़ जमा हुई उसने बिहार के दूसरे सियासी दलों की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. खासकर महिलाओं के वोट पर एकछत्र राज करनेवाले सीएम नीतीश कुमार के लिए ये बड़ी चुनौती का विषय बननेवाला है.
नीतीश के वोट बैंक पर नजरः महिला संवाद कार्यक्रम में बड़ी भीड़ देख उत्साहित प्रशांत किशोर ने ये एलान किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कम से कम 40 महिलाओं को टिकट जरूर देगी. इस घोषणा के बाद आयोजन में आई महिलाएं खासी उत्साहित भी दिखीं.
"प्रशांत किशोर जी से हमें बहुत उम्मीद है और उम्मीद के साथ ही हम लोग इनसे जुड़े हैं.बिहार की मां और बहनों को जो सम्मान प्रशांत किशोर ने दिया है वह माइलस्टोन साबित होने वाला है."_स्मिता चौरसिया, मुखिया, खटोरी, रामनगर, पश्चिमी चंपारण
'भविष्य बदलने की उम्मीद':वहीं महिला संवाद में सीवान से भाग लेने आई माधवी सिंह कुशवाहा ने कहा कि प्रशांत किशोर जी से हमें उम्मीद है कि वह मेरे बच्चों का भविष्य बदलेंगे. आज तक पटना में महिलाओं की इतनी बड़ी सभा नहीं हुई थी. प्रशांत किशोर बिहार को बदलने के लिए आगे बढ़े हैं और हमलोगों का साथ उन्हें मिलेगा.-माधवी सिंह कुशवाहा, सिवान
नीतीश बनाम प्रशांतःविधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स की काफी अहमियत है और फिलहाल महिलाओं के कल्याण से जुड़ी नीतियों के कारण नीतीश कुमार आधी आबादी के सबसे बड़े सियासी चहेते माने जाते हैं. इसके पीछे ठोस वजह भी है. सीएम नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए जो काम किए हैं उसकी एक लंबी फेहरिस्त है.
सियासत में दिया अहम स्थानः सियासत में महिलाओं को अहम स्थान दिलाने में सीएम नीतीश कुमार ने बड़ी भूमिका निभाई है. नीतीश ने ही सबसे पहले स्थानीय निकाय में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण दिया और 2006 में तो उसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर दिया.
सरकारी नौकरी में भी पूरी भागीदारीः न सिर्फ सियासत बल्कि सरकारी नौकरियों में नीतीश कुमार ने महिलाओं की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की. नीतीश सरकार ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया तो सिपाही भर्ती में भी 35 फीसदी आरक्षण दिया. इसके अलावा राज्य के सरकारी सेवकों और पदों पर सीधी नियुक्ति में आरक्षित और गैर आरक्षित कोटे की महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है.
महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर जोरः सियासत में हिस्सेदारी और सरकारी नौकरी में भागीदारी के साथ-साथ नीतीश कुमार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में भी क्रांतिकारी कदम उठाए और इसका सबसे बड़ा जरिया बना जीविका. राज्य में 10 लाख महिला स्वयंसेवी सहायता समूह है और जिससे एक करोड़ 50 लाख जीविका दीदी जुड़ चुकी हैं. सरकार की ओर से जीविका दीदी को 35000 रुपये लेकर एक लाख तक का लोन भी मिलता है ताकि वो कोई छोटे-मोटे रोजगार कर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें. इसके अलावा शराबबंदी भी नीतीश कुमार की महिलाओं में लोकप्रियता का बड़ा कारण है.