पटनाः पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने को लेकर गौरव कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने आज 11 मार्च सोमवार को गौरव कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की. सुनवाई काफी लंबी हुई. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने बहस की.
आरक्षण की सीमा बढ़ायी गयीः महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने ये आरक्षण इन वर्गों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण किया है. सरकार ने ये आरक्षण अनुपातिक आधार पर नहीं किया है. इन याचिकाओं में राज्य सरकार द्वारा 9 नवंबर, 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई है. इसमें एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में दी जा सकती है.
इंदिरा साहनी केस का दिया हवालाः अधिवक्ता दीनू कुमार ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है. उन्होंने बताया था कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया, न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था.