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मलेरिया की दवा से ठीक होंगे पार्किंसन के मरीज, KGMU में सफल रहा दवा का शोध - KGMU Research on Parkinson - KGMU RESEARCH ON PARKINSON

मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन से पार्किंसन डिजीज (Parkinson's treatment with malaria drug) के मरीज भी ठीक हो सकेंगे. केजीएमयू के फार्माकॉलॉजी विभाग के शोध में चूहों पर इसके इस्तेमाल से पार्किंसन को नियंत्रित करने में सफलता मिली है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 5:17 PM IST

लखनऊ: कोरोना काल में संक्रमितों के इलाज के लिए इस्तेमाल हुई मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन से पार्किंसन डिजीज के मरीज भी ठीक हो सकेंगे. केजीएमयू के फार्माकॉलॉजी विभाग के शोध में चूहों पर इसके इस्तेमाल से पार्किंसन को नियंत्रित करने में सफलता मिली है. इसी तरह पेट के कीड़े मारने वाली दवा नाइक्लोसिमाइड के भी बेहतर परिणाम आए हैं. ऐसे में इस शोध से पार्किंसन के इलाज के लिए दवा विकसित होने की उम्मीद बढ़ गई है.

पार्किंसन में मरीज के शरीर में कंपन शुरू हो जाता है. गंभीर होने पर मरीज दैनिक काम भी नहीं कर पाता. अब तक इसकी कोई दवा नहीं है. डॉक्टरों के मुताबिक, जो भी दवाएं दी जा रही हैं, वे सिर्फ इस बीमारी का असर बढ़ने की रफ्तार धीमा कर देती हैं. केजीएमयू में इस पर शोध करने वाले फार्माकॉलजी विभाग के डॉ. ऋषि पाल ने बताया कि पहले हमने चूहों में एमपीटीपी केमिकल देकर पार्किंसन डिजीज विकसित किया. इसके वाद एक ग्रुप को क्लोरोक्वीन और दूसरे ग्रुप प को पेट के कीड़े मारने की दवा नाइक्लोसिमाइड दी गई. दोनों दवाओं के असर से चूहों में पार्किंसन बीमारी की गंभीरता कम हो गई.

केजीएमयू के फार्माकॉलॉजी विभाग में किया गया शोध.

ह्यूमन ट्रायल की जरूरत: डॉ. ऋषि पाल ने बताया कि चूहों पर शोध के वाद अव दोनों दवाओं का ह्यूमन ट्रायल किया जाएगा. इसकी प्रक्रिया लंबी है. ह्यूमन ट्रायल में भी ऐसे ही परिणाम मिले, तो पार्किंसन के मरीजों के लिए वड़ी राहत होगी.

क्यों होती है पार्किंसन बीमारी:पार्किंसन डिजीज मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र का एक विकार हैं. इसमें मस्तिष्क में कोशिकाओं के सेल यानी न्यूरॉन्स मर जाते हैं या खराब हो जाते हैं. ऐसे में मस्तिष्क के उस हिस्से से शरीर का जो हिस्सा नियंत्रित होता है, वह डिस्टर्ब हो जाता है. इससे हाथ में कंपन के साथ कड़ापन, संतुलन खोने जैसे लक्षण आने लगते हैं. ये लक्षण पूरी तरह कभी दूर नहीं होते. दवाओं से इनमें थोड़ी कमी आ जाती है, लेकिन एक समय के बाद ये दोबारा शुरू हो जाते हैं.
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