लखनऊ: कोरोना काल में संक्रमितों के इलाज के लिए इस्तेमाल हुई मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन से पार्किंसन डिजीज के मरीज भी ठीक हो सकेंगे. केजीएमयू के फार्माकॉलॉजी विभाग के शोध में चूहों पर इसके इस्तेमाल से पार्किंसन को नियंत्रित करने में सफलता मिली है. इसी तरह पेट के कीड़े मारने वाली दवा नाइक्लोसिमाइड के भी बेहतर परिणाम आए हैं. ऐसे में इस शोध से पार्किंसन के इलाज के लिए दवा विकसित होने की उम्मीद बढ़ गई है.
पार्किंसन में मरीज के शरीर में कंपन शुरू हो जाता है. गंभीर होने पर मरीज दैनिक काम भी नहीं कर पाता. अब तक इसकी कोई दवा नहीं है. डॉक्टरों के मुताबिक, जो भी दवाएं दी जा रही हैं, वे सिर्फ इस बीमारी का असर बढ़ने की रफ्तार धीमा कर देती हैं. केजीएमयू में इस पर शोध करने वाले फार्माकॉलजी विभाग के डॉ. ऋषि पाल ने बताया कि पहले हमने चूहों में एमपीटीपी केमिकल देकर पार्किंसन डिजीज विकसित किया. इसके वाद एक ग्रुप को क्लोरोक्वीन और दूसरे ग्रुप प को पेट के कीड़े मारने की दवा नाइक्लोसिमाइड दी गई. दोनों दवाओं के असर से चूहों में पार्किंसन बीमारी की गंभीरता कम हो गई.