मुजफ्फरनगर :जिले की रहने वाली प्रीति पाल ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया. 10 साल तक सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से लड़कर उसने बड़ी कामयाबी हासिल की है. खिलाड़ी ने 48 घंटे के अंदर देश को दौड़ में दो कांस्य पदक दिलाए. कई साल बिस्तर पर ही गुजारने वाली खिलाड़ी को दौड़ में इस तरह की उपलब्धि मिलने पर परिवार समेत अन्य लोग भी जश्न में डूबे हैं. परिवार की आंखों में खुशी के आंसू हैं. घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. पीएम मोदी के अलावा सीएम योगी ने भी खिलाड़ी को बधाई दी है.
प्रीति पाल मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाली हैं. इस समय उनका परिवार मेरठ के कसेरू बक्सर गांव में रहता है. पिता अनिल पाल दूध का कारोबार करते हैं. कुछ समय पहले वह मेरठ आकर बस गए थे. तब से उनका परिवार यहीं रह रहा है. प्रीति पाल के परिवार में माता-पिता के अलावा बड़ी बहन नेहा, छोटे भाई अनिकेत और विवेक हैं. प्रीति को छोड़कर तीनों भाई बहन जॉब करते हैं. बड़ी बहन नेहा ने बताया कि प्रीति बचपन से ही सबसे अलग थी. जब वह बहुत छोटी थी तो उसके दोनों पैर जुड़े थे. कुछ समय बाद उसमें सेरेब्रल पाल्सी बीमारी का पता चला.
10 साल बिस्तर पर गुजारे :नेहा ने बताया कि शरीरिक रूप से प्रीति सक्षम नहीं थी. वह सामान्य बच्चों की तरह चल-फिर नहीं सकती थी. दादी ने प्राकृतिक चिकित्सा के लिए उसे करीब 10 साल तक गोबर में दबाया. करीब 10 साल पहले तक प्रीति पूरी तरह बिस्तर पर ही रहती थी. वह खाने-पीने से लेकर हर काम बेड पर ही करती थी. उसके पैरों में प्लास्टर लगे थे. पैरों में मजबूती नहीं थी. उसे लोहे के जूते भी पहनाए गए. वह चलते-चलते गिर जाती थी लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी.
टीवी पर दिव्यांग खिलाड़ियों को देख बनाया टारगेट :इस दौरान वह टीवी पर दिव्यांग खिलाड़ियों के वीडियो देखती रहती थी. यहीं से उसके मन कुछ कर दिखाने का जज्बा पैदा हो गया. उसने ठान लिया था कि एक दिन वह भी देश के लिए मेडल लेकर आएगी. बीमारी से उसे तकलीफ होती थी लेकिन उसने कभी अपना हौसला नहीं खोया. बाद में उसके पैर ठीक होने लगे. प्रीति कैलाश प्रकाश स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाती थी. कई बार ऑटो नहीं मिलता तो पापा उसे लेकर आते थे. वह हर रोज 20 किलोमीटर का सफर तय करती थी.
48 घंटे में झटके दो पदक :शुरुआती अभ्यास उसने मेरठ की पैरा ओलंपिक खिलाड़ी जैतून खातून के निर्देशन में किया. बाद में प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह गौरव त्यागी से भी ट्रेनिंग ली.उसने स्टेट में गोल्ड मेडल जीता. फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. 30 अगस्त को प्रीति ने देश को पैरा ओलंपिक में महिलाओं की 100 मीटर टी-35 कैटेगरी में कांस्य पदक दिलाया. प्रीति ने 14.31 सेकेंडड में 100 मीटर की दूरी तय की. इसके बाद उसकी निगाहें 1 सितंबर को होने वाले इवेंट पर थी. प्रीति ने यहां भी कांस्य जीता.