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परमार्थ निकेतन पहुंचे पंडित धीरेंद्र शास्त्री, स्वामी चिदानंद सरस्वती की तारीफ में पढ़े कसीदे - Parmarth Niketan Ashram

Parmarth Niketan Ashram इन दिनों बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उत्तराखंड के दौरे पर हैं. आज वो परमार्थ निकेतन पहुंचे, जहां उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात कर मां गंगा की आरती में हिस्सा लिया.

Parmarth Niketan Ashram
परमार्थ निकेतन पहुंचे पंडित धीरेंद्र शास्त्री (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 24, 2024, 5:34 PM IST

परमार्थ निकेतन पहुंचे पंडित धीरेंद्र शास्त्री (video-ETV Bharat)

ऋषिकेश: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री परमार्थ निकेतन पहुंचे, जहां पर परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने वेदमंत्रों, शंख ध्वनि और पुष्पवर्षा के साथ उनका भव्य स्वागत किया. इसी बीच पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंटकर विश्व शांति, यज्ञ और मां गंगा की आरती में हिस्सा लिया.

स्वामी चिदानंद सरस्वती से मिलते धीरेंद्र शास्त्री (photo-ETV Bharat)

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन संस्कृति के ध्वज को पूरे विश्व में बड़ी ही दिव्यता, सात्विकता , सरलता, सजगता और दृढ़ता के साथ फहराने का कार्य किया है. उन्होंने अपने पूर्वजों और गुरुओं से जो ज्ञान प्राप्त किया, उसे पूरे विश्व में बांट रहे हैं. अपनी शक्ति, भक्ति और सामर्थ्य को जन कल्याण हेतु समर्पित कर एक समृद्ध समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि संतों के माध्यम से सनातन गंगा का प्रवाह निरंतर प्रवाहित हो रहा है, क्योंकि सनातन है तो हम हैं. भारत के कण-कण में सनातन का नाम समाहित है.

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि स्वामी चिदानंद भारतीय संस्कृति व प्रकृति के संरक्षक व उन्नायक हैं, उनका प्रत्येक संदेश गंगा जी, प्रकृति व पर्यावरण के लिये होता है. परमार्थ निकेतन आने पर लगता है, जैसे अपने ही घर पहुंच गए हैं. जीवन को जीने के दो रास्ते हैं एक है अर्थ और दूसरा परमार्थ. अधिकांश लोग अर्थ के माध्यम से जीवन जीते हैं, लेकिन स्वामी चिदानंद परमार्थ के लिये जीते हैं. आपने पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी है. उन्होंने कहा कि विचारों और मन का पवित्र होना बहुत जरूरी है. जीवन में सब कुछ होता है, लेकिन मन ठीक नहीं होता, इसलिये पूज्य संतों का सान्निध्य, साधना और ध्यान को जीवन का अंग बनाना होगा, क्योंकि जिनके पास साधना की शक्ति है उनके पास सब कुछ है.

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