पलामू: देश का एक ऐसा इलाका है जो पिछले दो दशक से सूखे के लिए चर्चा में है. हर साल इस इलाके में बारिश का पैटर्न बदलता रहता है. कभी शुरुआत में बारिश होती है तो कभी अंत में. यह इलाका है झारखंड के पलामू जिले का इलाका. पिछले दो दशक से पलामू सूखे के लिए चर्चा में है. पलामू प्रमंडल के इलाके में बारिश का पैटर्न बदल रहा है. अब धीरे-धीरे किसान भी बारिश के पैटर्न में हो रहे इस बदलाव को स्वीकार करने लगे हैं.
अविभाजित बिहार में पलामू का इलाका धान के कटोरे का हिस्सा रहा है. लेकिन अब यह इलाका चावल की खेती से अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है. राज्य सरकार और सरकारी तंत्र किसानों को चावल के अलावा अलग खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. दलहन की खेती के लिए पलामू के इलाके का चयन किया गया है. पलामू के इलाके को पूरे राज्य में अरहर (तूर) के उत्पादन का हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत अरहर के उत्पादन के लिए पलामू के इलाके का चयन किया है.
"बारिश का पैटर्न बदल रहा है, किसान दलहन की खेती में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कई स्तरों पर समीक्षा की गई, जिसके बाद किसानों को दलहन की खेती से जोड़ने का निर्णय लिया गया. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत पलामू में अरहर की पैदावार का लक्ष्य रखा गया है. आने वाले समय में पलामू का इलाका दलहन उत्पादन का हब बन सकता है." - शशि रंजन, डीसी, पलामू
बढ़ रहा है अरहर का उत्पादन