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कसूरी मेथी के नाम से बिक रही नागौरी पान मेथी को जल्द मिलेगी स्वदेशी पहचान

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 28, 2024, 6:00 PM IST

Updated : Feb 28, 2024, 6:14 PM IST

नागौर की पान मेथी अपनी खुशबू के लिए देशभर में मशहूर है. इसे कसूरी मेथी के नाम से जाना जाता है. जल्द ही नागौर की पान मेथी को स्वदेशी पहचान मिलने वाली है. इसको जीआई टैग मिलना लगभग तय हो गया है.

Fenugreek leaf of Nagaur
Fenugreek leaf of Nagaur

नागौरी पान मेथी को जल्द मिलेगी स्वदेशी पहचान

नागौर. कई प्रकार के व्यंजनों में कसूरी मेथी के नाम से डाले जाने वाले सूखे पत्तों को अब अपने नाम की पहचान मिलने वाली है. देश में कसूरी मेथी के नाम से जो सूखी मेथी मिलती है, असल में वो नागौर की पान मेथी है. इसकी महक से हर कोई वाकिफ है. कसूरी पाकिस्तान की एक जगह हैं, जहां पर भी इसका उत्पादन होता है, जो दुनिया में फेमस है. पाकिस्तानी मेथी से कहीं ज्यादा खुशबूदार नागौर की पान मेथी है. इसको विदेशी कसूरी मेथी के नाम से जाना जाता रहा है, लेकिन अब इसमें बदलाव होने जा रहा है. नाबार्ड के सहयोग से नागौर की इस मेथी को नागौरी पान मेथी के नाम के साथ-साथ भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग भी मिलना लगभग तय हो गया है.

हाल ही में राजस्थान एसोसिएशन आफ स्पाइसेस बिजनस मीट में कसूरी नाम हटाकर इसका नाम नागौरी पान मेथी कर दिया गया है, ताकि स्वदेशी मसाले को विदेशी पहचान से मुक्ति मिल सके. जोधपुर में नाबार्ड के सहयोग से चल रहे एग्री एक्सपोर्ट फेसिलेशन सेंटर के समन्वयक भागीरथ चौधरी का कहना है कि नागौरी पान मेथी के नाम से जल्द जीआई टैग भी मिलेगा. इसका फायदा किसानों को होगा. चौधरी ने बताया कि जीआई टैग के साथ-साथ कई अन्य जगहों पर भी इसकी पहचान को लेकर हम काम कर रहे हैं. इसे फसल का भी दर्जा मिल गया है. इसके लिए मंडियां भी खुल रही हैं.

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आठ हजार हैक्टेयर में होती है फसल : भागीरथ चौधरी का कहना है कि नागौर जिले में पान मेथी की फसल आठ हजार हैक्टेयर में बोई जाती है. एक बार बोने के बाद इससे तीन से पांच बार तक फसल ली जाती है. किसानों को लंबे समय तक इसका उत्पादन मिलता है. नागौर से गीली हरी मेथी लगभग हर बड़े शहर में सप्लाई की जाती है. इसके लिए किसानों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. नागौरी मेथी की असली खुशबू इसके सूखने के बाद आती है. इसके लिए किसानों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसे सुखाने के बाद मशीनों से साफ कर इसकी पैकिंग की जाती है. उन्होंने बताया कि देश की बड़ी मसाला कंपनियों में से एक एमडीएच ने इस मेथी को बरसों पहले ही पहचान लिया था. कंपनी ने करीब चालीस साल पहले नागौर में अपनी फैक्ट्री लगाई थी और नागौरी मेथी को कसूरी मेथी के नाम से बेचने लगी. इसके बाद अन्य दूसरी बड़ी कंपनियों ने भी अपने प्लांट यहां लगाए हैं.

किसानों को होगा फायदा :भारत के स्पाइसेस बोर्ड में मसालों की दो सूचियां बनी हुई हैं. शिड्यूल 1 में नागौरी पान मेथी को शामिल करवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. संसदीय समिति भी इसको लेकर दौरा कर चुकी है. इसके बाद नागौरी पान मेथी का एक्सपोर्ट भी हो सकेगा. अजमेर के राष्ट्रीय बीज संस्थान के माध्यम से भी काम चल रहा है. जीआई टैग मिलने से इस मेथी को अपनी पहचान मिलेगी, जिसका सीधा फायदा किसानों को होगा.

Last Updated : Feb 28, 2024, 6:14 PM IST

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