कुचामनसिटी : डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन शहर में स्थित डूंगरी गणेश जी मंदिर में 133 साल से प्रधान पुजारी महिला बनती आईं हैं. माना जाता है कि यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है, जहां महिला पुजारी पूजा करती हैं. पूरे शहर के लिए ये प्रथम आराध्य हैं. नया वाहन खरीदा गया हो या व्यापार में वृद्धि की कामना हो, श्रद्धालु यहां धोक लगाने जरूर आते हैं. 331 साल पुराने इस मंदिर में भगवान गजानन रिद्धि-सिद्धि के साथ सिद्धि विनायक स्वरूप में विराजमान हैं. आज गणेश चतुर्थी के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. करीब 60 हजार से भी ज्यादा लोग दर्शन करने आते हैं.
पति के निधन के बाद पत्नी बनीं पुजारी : पुजारी नथमल सिंडोलिया ने बताया कि मंदिर में 331 सालों से सिंडोलिया परिवार पूजा-अर्चना का कार्य कर रहा है. 1891 में पुजारी परिवार के मुखिया का आकस्मिक निधन हो गया. इस पर उनकी पत्नी डालीदेवी शर्मा ने तत्कालीन राजा से मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी, ताकि परिवार चलाया जा सके. राजा ने उन्हें पूजा की अनुमति दी और उन्होंने मंदिर में पूजा का काम संभाला. उस दौर में ये बड़ी बात थी. इसके बाद परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं ने ही प्रधान पुजारी की जिम्मेदारी संभाली.
युद्ध में जाने और जीतकर आने पर भगवान के दर्शन : उन्होंने बताया कि राजाओं-महाराजाओं के दौर में जब भी राज परिवार कोई नया काम शुरू करता था, कोई त्योहार का मौका होता था या फिर युद्ध में जाना होता था, सबसे पहले गणेश डूंगरी स्थित भगवान गणेश के दर्शन किए जाते थे. युद्ध में जीतकर लौटने पर भी सबसे पहले गणेश जी के दर्शन किए जाते थे. वर्तमान में अगली पीढ़ी के तौर पर उनकी पत्नी बबीता शर्मा और उनके भतीजे पंकज शर्मा की पत्नी नेहा शर्मा पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभा रही हैं.
1891 से चली आ रही पंरपरा : प्रधान पुजारी बबिता शर्मा ने बताया कि यह पंरपरा साल 1891 से चली आ रही है. यह हमारा सौभाग्य है. भगवान को यही मंजूर था कि इस मंदिर की पूजा एक महिला ही करे और यह परंपरा हम निभाते आ रहे हैं. पिछले 10 वर्षों से वो इस मंदिर की पूजा करती आ रही हैं. गणेश मंदिर का महत्व आज का नहीं बल्कि रजवाड़ों के दौर का है.