बिलासपुर: लोकसभा चुनाव में इस बार यूथ वोटर्स अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. युवाओं का फैसला देश की दशा और दिशा तय करेगा. बिलासपुर लोकसभा सीट के युवा क्या सोचते हैं इसे लेकर बिलासपुर के गुरू घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं से ईटीवी भारत ने बात की है. उन्होंने लोकसभा चुनाव और आने वाली सरकार पर अपना मत रखा है. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं अपनी नौकरी के साथ ही भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. वे आने वाली सरकार से उम्मीदें रखते हैं कि सरकार उन्हें इस देश में ही एक अच्छी नौकरी मुहैया कराए, यह जरूरी नहीं कि उन्हें सरकारी नौकरी ही मिले निजी क्षेत्र में भी सरकार अच्छी नौकरी उपलब्ध करा सकती है.
देश में नौकरी करना चाहते हैं छात्र: बिलासपुर के युवा विद्यार्थियों ने बताया कि उन्हें आईटी या इंजीनियरिंग सेक्टर ज्यादा नहीं भा रहा है. न ही वे विदेश जाना चाहते हैं. वह अपने देश में अपनी स्किल के साथ और अपने शिक्षा के दम पर नौकरी पाना चाहते हैं. इसके साथ ही छात्र छात्राओं ने देश के विकास के साथ आम जनता से जुड़ी समस्याओं और मुद्दों पर अपने विचार ईटीवी भारत के साथ रखे.
सरकार को रोजगार के नए क्षेत्र पैदा करने चाहिए: बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र कुशाग्र गुप्ता ने कहा कि देश में सरकार को रोजगार के नए क्षेत्र पैदा करने चाहिए.
"सरकार का मुख्य एजेंडा रोजगार होना चाहिए. देश में जितनी नौकरी है उससे ज्यादा यहां पढ़े लिखे छात्र छात्राएं हैं. ऐसे पढ़ाई करने के बाद अधिकांश छात्रों को नौकरी नहीं मिलती. आंकड़े की अगर बात करें तो 100 छात्र ग्रेजुएट हैं तो देश मे केवल 45 ही नौकरी है. 55 छात्र बेरोजगार घूमते हैं. यही चीज चलती रही तो मुझे नहीं लगता कि भारत का भविष्य अच्छे हाथों में है. भारत का भविष्य तय करना सरकार के हाथ में है. देश की सरकार मुद्दे पर ध्यान दें तो रोजगार या नौकरी का अवसर पैदा हो सकता है. आधारभूत संरचनाओं पर काम करें और ग्लोबलाइजेशन पर काम करें तो इस फैक्टर पर रोजगार पैदा हो सकते हैं. बाहरी कंपनियों को मौका दिया जाना चाहिए. जिससे रोजगार में बढ़ावा मिल सकेगा": कुशाग्र गुप्ता, छात्र, गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर
मजबूरी में युवा करते हैं विदेश पलायन: बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी की छात्रा आरोही शुक्ला ने बताया कि "हमारे देश में जो ग्रेजुएट युवा हैं उनके लिए अवसर बेहद कम है. देश में आईटी और मेडिकल के बाद कोई बड़ा फील्ड नहीं है जिसमें युवाओं को रोजगार मिल सके. आईटी और मेडिलक में भी प्लेसमेंट नहीं हो पा रहा है जिस वजह से आज पढ़ा लिखा युवा विदेश जाने को मजबूर है. इतना पैसा खर्च कर जब युवा इमानदारी से पढ़ता है और उसे देश में नौकरी नहीं मिलती है तो वह विदेश का रुख करता है. सरकार को नौकरी के अवसर पैदा करने पर सोचना चाहिए. देश में राजनीतिक दलों को संप्रदाय और धर्म के आधार पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. इस देश में धार्मिक स्वतंत्रता है"