नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पूछा है कि क्या उसने महरौली की छह सौ साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ध्वस्त करने के पहले कोई वैध नोटिस जारी किया था. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने डीडीए को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी.
याचिका दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंधन कमेटी ने दायर किया है. वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील शम्स ख्वाजा ने कहा कि मस्जिद को 30 जनवरी को ध्वस्त कर दिया गया. उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में एक मदरसा भी चल रहा था. मस्जिद के इमाम जाकिर हुसैन और उनके परिवार को आश्रयविहीन कर दिया गया और उनकी झोपड़ी भी ध्वस्त कर दी गई.
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इस पर डीडीए की ओर से पेश वकील संजय कात्याल ने कहा कि मस्जिद को ध्वस्त करने की अनुशंसा धार्मिक कमेटी ने 4 जनवरी को की थी. इसी अनुशंसा के आधार पर मस्जिद को ध्वस्त किया गया. कात्याल ने कहा कि 4 जनवरी के पहले धार्मिक कमेटी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को इस मामले पर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. इस पर शम्स ख्वाजा ने कहा कि धार्मिक कमेटी को मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है. तब कोर्ट ने डीडीए से पूछा कि आप ये बताएं कि मस्जिद को गिराने से पहले क्या कोई वैध नोटिस जारी किया गया था.
बता दें कि सितंबर 2023 में एक दूसरे मामले में सुनवाई के दौरान डीडीए ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि वह महरौली के आर्कियोलॉजिकल पार्क स्थित दिल्ली वक्फ बोर्ड की किसी मस्जिद, कब्रगाह या वैध संपत्ति को गिराने की कोई कार्रवाई नही करेगा. वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने कहा था कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर से अतिक्रमण हटाने का अधिकार दिल्ली वक्फ एक्ट की धारा 54,55 और 55ए के तहत दिल्ली वक्फ बोर्ड को ही है.
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