हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग जंगली जानवरों का निवास स्थान है. साथ ही तराई पूर्वी वन प्रभाग में वन्यजीवों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जिसे वन्यजीवों के वासस्थल के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है. लगातार बढ़ते वन्यजीवों की संख्या को देखते हुए वन विभाग मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने की कोशिश में जुटा है. वहीं वन विभाग द्वारा लगातार सांपों और मगरमच्छों को रेस्क्यू कर आबादी से दूर उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया. जबकि कई लोग सांप के काटने से जान गंवा चुके हैं.
इतने सांप और मगरमच्छों को किया रेस्क्यू:वहीं सांपों के काटने से सबसे अधिक लोगों की मौत होती है. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र अंतर्गत सांपों के काटने से पिछले 3 सालों में करीब 30 लोगों की मौत हुई है.वन विभाग के रेस्क्यू टीम द्वारा 3 सालों में 2985 सांपों को रेस्क्यू किया है. जबकि इस साल अभी तक 755 से अधिक सांपों को वन विभाग रेस्क्यू कर चुका है. बात मगरमच्छ की करें तो वन विभाग पिछले 3 सालों में 130 मगरमच्छों को रेस्क्यू किया है, जबकि इस साल अभी तक 40 मगरमच्छों को रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ा गया. ये पूरे आंकड़े तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र के हैं.
सांपों के काटने के सबसे ज्यादा मामले:तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागड़ीने बताया कि सबसे ज्यादा मौत वन्य जीवों के रूप में सांप के काटने से होती हैं. जिसके लिए वन विभाग ने विस्तृत विश्लेषण भी किया है. इस दौरान कुछ क्षेत्रों में सांपों के द्वारा लोगों को काटने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. वन विभाग इस स्थिति से निपटने के प्रयास कर रहा है. ऐसे में वन विभाग सांप क्षेत्र वाले हॉटस्पॉट स्थानों को चिन्हित कर रहा है.