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एमएलए दून के 2 स्टोन क्रशर सहित राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस, हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती - HC NOTICE TO STONE CRUSHERS

हिमाचल हाईकोर्ट ने जिला सोलन में स्थापित स्टोन क्रशरों पर नियमों का उल्लंघन करने के मामले में बड़ा एक्शन लिया है. पढ़ें पूरी खबर

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हिमाचल हाईकोर्ट (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 18 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला सोलन के बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ (BBN) में स्थापित स्टोन क्रशरों पर नियमों का उल्लंघन करने के मामले में बड़ा एक्शन लिया है. इस संदर्भ में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने दून से कांग्रेस एमएलए रामकुमार चौधरी के दो स्टोन क्रशरों सहित राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया है.

अदालत में दाखिल याचिका में कृष्ण कुमार ने कहा है कि बीबीएन क्षेत्र की सभी स्टोन क्रशर इकाइयों ने अपने पट्टे की अवधि और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त होने के बाद फिर से अपने पट्टे का नवीनीकरण किया.साथ ही प्रदूषण सम्बन्धी मंजूरी भी प्राप्त की. आरोप है कि उनमें से किसी ने भी प्रतिवादी ने अधिकारियों के समक्ष यह खुलासा नहीं किया है कि एक क्रशिंग मशीनरी के स्थान पर, उन्होंने उसी क्रशर इकाई में 8 से 10 क्रशिंग इकाइयां स्थापित की हैं.यही नहीं, वे खनन पट्टे की भूमि से भारी मात्रा में खनन कर खनिज निकाल रहे हैं.

आरोप है कि इन स्टोन क्रशरों द्वारा खनन की प्रारंभिक अनुमति से हजारों गुणा खनन किया जा रहा है.इसके अलावा उन्होंने अब 10 से 20 ट्रकों के बजाय सैकड़ों ट्रक माल ढुलाई में तैनात किए हैं. इस पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रधान सचिव (उद्योग), प्रधान सचिव (गृह) सहित उद्योग निदेशक, राज्य भूविज्ञानी, खनन अधिकारी सोलन, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण के सदस्य सचिव, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बद्दी सहित डीसी सोलन, पुलिस अधीक्षक, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी बद्दी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब तलब किया है.

प्रार्थी ने हरिपुर संडोली तहसील नालागढ़ में स्थापित शिव भोले स्टोन क्रशर, कुंडलास स्टोन क्रशर, रामा स्टोन क्रशर, गुप्ता स्टोन क्रशर और दून स्टोन क्रशर का संबंधित अधिकारियों से निरीक्षण करवाए जाने की मांग की है.याचिका में इन स्टोन क्रशरों की प्रत्येक क्रशर इकाई में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की है. प्रार्थी ने इन स्टोन क्रशर इकाइयों के संबंध में जांच चौकियां और माप पुल स्थापित करने का निर्देश जारी करने की मांग की है, ताकि क्रशर इकाइयां उस क्षमता से अधिक खनिजों का उत्खनन और आपूर्ति न कर सकें.

इसी प्रकार की जांच चौकियां और माप पुल पंजाब राज्य की सीमा पर भी स्थापित करने की मांग की गई है ताकि हिमाचल प्रदेश से पंजाब में अवैध खनन सामग्री का परिवहन न किया जा सके. उक्त अवैध परिवहन से हिमाचल प्रदेश राज्य को भारी सरकारी खजाने की हानि होती है. प्रार्थी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग में सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और उपयुक्त कर्मचारीयों को तैनात करने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की है.

प्रार्थी का कहना है कि अवैध खनन और क्षेत्र में फार्मा कंपनियों के अवैध संचालन के बारे में लोगों की लगभग 200 शिकायतें हैं, लेकिन उन शिकायतों को आज तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संबंधित अधिकारी द्वारा कानून के अनुसार नहीं निपटाया है. इसका कारण उन्हें ही सबसे अच्छी तरह से पता है.

इसके अलावा, ऐसे उद्योग हैं, जिन्होंने अपनी फार्मा कंपनियों को चलाने के लिए एनओसीएस के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली है.फिर भी ये फार्मा कंपनियां बिना किसी अनुमति के बद्दी क्षेत्र में काम कर रही हैं और फार्मा कंपनियों को चलाने के लिए नई अनुमति प्राप्त करने के लिए लगभग 100 से अधिक आवेदन हैं, लेकिन उन आवेदनों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.प्रार्थी ने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बद्दी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

प्रार्थी का कहना है कि 23 मई 2024 को याचिकाकर्ता द्वारा पुलिस जिला बद्दी के एसपी को क्षेत्र में अव्यवस्थित एवं अवैध खनन को रोकने के लिए एक मांगपत्र प्रस्तुत किया था.साथ ही क्रशर इकाईयों के मालिकों के विरूद्ध जांच के लिए एक चेक-पोस्ट एवं वेट ब्रिज स्थापित करने का अनुरोध किया गया था परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई.लोगों द्वारा बार-बार विभिन्न शिकायतें दर्ज कराकर प्रतिवादी प्राधिकारियों के ध्यान में लाया गया है कि उक्त क्षेत्र में खनन माफिया विभिन्न तरीकों से राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन आज तक प्रतिवादी प्राधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है.यह प्रतिवादी प्राधिकारियों की ओर से कर्तव्यों के प्रति स्पष्ट लापरवाही है.

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