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उन्नाव में सड़क हादसे में प्रतिदिन 3 मौतें, जिला प्रशासन को नहीं मिला कोई 'नेक दिल इंसान', अब किसे करे सम्मानित - GOOD SAMARITAN

हादसों में घायलों की मदद करने वालों को सम्मानित करने के लिए शुरू की गई है ‘गुड सेमेरिटन योजना’.

उन्नाव में ‘गुड सेमेरिटन योजना’ के तहत नहीं मिला कोई.
उन्नाव में ‘गुड सेमेरिटन योजना’ के तहत नहीं मिला कोई. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 26, 2024, 6:29 AM IST

उन्नाव:सड़क हादसों में घायलों की जान बचाने और मददगारों को सम्मानित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2021 में शुरू की गई ‘गुड सेमेरिटन योजना’ उन्नाव में अभी तक निष्क्रिय ही है. योजना के तहत घायल व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाने वाले नेक दिल इंसान को 5,000 रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र प्रदान करने का प्रावधान है. लेकिन इस योजना के अंतर्गत अब तक जिला प्रशासन को एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसे सम्मानित किया जा सके.

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और योजना का उद्देश्य:सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों को समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘गुड सेमेरिटन कानून’ लागू किया था. इसके पीछे मकसद यह था कि लोग घायलों की मदद करने से न डरें और कानूनी परेशानियों के डर से पीछे न हटें. इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने 2021 से 2026 तक के लिए इस योजना की शुरुआत की. ‘गुड सेमेरिटन’ या नेक दिल इंसान वह होता है, जो सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को अपनी मर्जी से अस्पताल पहुंचाता है.

क्या है गुड सेमेरिटन योजना. (Photo Credit; ETV Bharat)

इन बातों का ध्यान रखना होगा

  • मददगार को किसी प्रकार की कानूनी पूछताछ या गवाही के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.
  • उनका नाम और पता बताने की अनिवार्यता नहीं होगी.
  • यदि मददगार स्वेच्छा से अपना नाम-पता दर्ज कराता है तो केवल एक बार पूछताछ की जा सकेगी.
  • सरकारी अस्पतालों में सड़क हादसे के पीड़ितों को नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी जाएगी.
  • घायल को ‘गोल्डन ऑवर’ (पहले 1 घंटे) में अस्पताल पहुंचाने पर 5,000 रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा.

उन्नाव में नहीं कारगर साबित हुई योजना:उन्नाव में इस योजना का प्रचार-प्रसार न के बराबर है. जिला अस्पताल में एक बोर्ड लगाकर जानकारी दी गई है, लेकिन यह प्रयास अपर्याप्त है. नतीजतन, अधिकांश लोग इस योजना के बारे में जानते ही नहीं हैं.

हादसों में जान गंवाते लोग, मददगारों की कमी:उन्नाव में औसतन प्रतिदिन तीन लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं. इसके बावजूद, घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाला कोई मददगार अब तक सामने नहीं आया है. योजना लागू होने के बाद से ही प्रशासन को किसी ऐसे नेक दिल इंसान की तलाश है, जिसे इस योजना के तहत सम्मानित किया जा सके.

जागरूकता की कमी बनी बाधा:विशेषज्ञों का मानना है कि योजना की असफलता का मुख्य कारण जागरूकता की कमी है. सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद करने से जुड़े अधिकार और सुरक्षा प्रावधानों के बारे में जनता को जानकारी नहीं है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश ने कहा कि अभी तक उन्नाव में किसी को भी लाभ नहीं मिला है. ऐसा कोई इंसान ही नहीं मिला है, जिसको यह सम्मान दिया जा सके.

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