पटनाः केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रविवार 9 जून को एनडीए सरकार का गठन हुआ. पीएम के अलावा 71 मंत्रियों ने शपथ लिया. इस बार के मोदी मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है. इस पर बिहार में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है. आरजेडी ने इस मुद्दे पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि पंजाब से हारने वाले को भी मंत्री बनाया गया है, लेकिन 18% मुस्लिम आबादी को नजरअंदाज किया गया है. आरजेडी का कहना है कि यह कदम एनडीए के 'सबका साथ, सबका विकास' नारे के विपरीत है.
पिछले दो मोदी मंत्रिमंडल थे मुस्लिम मंत्रीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 में जब सरकार बनायी थी तो मुस्लिम मंत्री बनाए गये थे. 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी तो मुस्लिम चेहरे के तौर पर नजमा हेपतुल्ला को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. 2014 में मोदी कैबिनेट का पहला विस्तार हुआ तो मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद मुख्तार अब्बास नकवी मोदी कैबिनेट में फिर शामिल हुए.
बीजेपी का मुस्लिम विरोधी चेहराः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि बीजेपी का मुस्लिम विरोधी चेहरा सामने आ गया है. देश में 18% के करीब मुस्लिम है लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया है. एनडीए चाहता तो किसी को राज्यसभा से भेज कर मंत्री बनाया जा सकता था. क्योंकि रवनीत सिंह बिट्टू के चुनाव हारने के बाद पंजाब का प्रतिनिधित्व देने के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया. उन्होंने कहा कि भाजपा में जम्मू कश्मीर से राज्यसभा के सांसद हैं उन्हें मंत्री बनाया जा सकता था. जदयू की ओर इशारा करते हुए एजाज अहमद ने कहा कि मुसलमान के लिए बहुत काम करने का दावा किया जाता है, लेकिन असली चेहरा उनका भी सामने आ गया.
"अभी मंत्रिमंडल का आगे भी विस्तार होगा और उसमें मौका मिल सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और इसलिए सबके लिए काम होता है. राजद के लोग जो अभी आरोप लग रहे हैं जब लालू प्रसाद यादव जेल गए थे तो क्यों नहीं अब्दुल बारी सिद्दीकी को मुख्यमंत्री बना दिया था. तब उन्होंने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था."- राकेश कुमार सिंह, भाजपा प्रवक्ता