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यूपी का एक ऐसा गांव...जहां नहीं है एक भी नाली, आखिर कहां जाता है घरों से निकलने वाला पानी? - DRAIN FREE VILLAGE OF UP

मेरठ के किला परीक्षित गढ़ ब्लॉक के सिकंदरपुर गांव में घरों से निकलने वाला नहीं होता व्यर्थ, फल-फूल और सब्जियों की करते सिंचाई ग्रामीण

सिकंदरपुर गांव नाली मुक्त.
सिकंदरपुर गांव नाली मुक्त. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 14 hours ago

मेरठःआमतौर पर गांव शहर या कस्बे से गुजरते हैं, तो उसकी साफ-सफाई के स्तर का मूल्यांकन वहां की नालियों को देखकर लगाते हैं. लेकिन मेरठ में एक ऐसा गांव है, जहां एक भी नाली नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नाली नहीं है तो प्रतिदिन इस्तेमाल के बाद खराब पानी आखिर कहां जाता है? आइए बताते हैं कि ग्रामीण और प्रधान ने कैसी जुगत लगाई जो मिसाल बन गई.

जल है तो कल हैःदरसअल, किला परीक्षित गढ़ ब्लॉक का सिकंदरपुर गांव में करीब 2000 आबादी है. यहां का हर नागरिक 'जल है तो कल है' का महत्व समझता है. इसलिए एक बूंद भी पानी खराब नहीं होने देता. घरों से निकलने वाले पानी का इतना बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं कि स्वच्छता के साथ हरियाली भी गांव में देखने लायक है. गांव में हर तरफ स्वच्छता और घरों के आगे बगिया दिखाई देती है. बिना नालियों के इस गांव को मॉडल गांव के तौर पर पंचायती राज विभाग बाकी ग्राम प्रधानों को को जागरूक कर रहा है.

जानिए यूपी के अनोखे गांव के बारे में. (Video Credit; ETV Bharat)

वेस्ट पानी से घरों के आगे लहलहा रही बगियाःमेरठ की डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव बताती हैं कि हमारा एक ऐसा गांव (सिकंदरपुर) है, जहां कोई नाली ही नहीं है. ऐसा इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि यहां पर सभी लोग बहुत जागरूक हैं. प्रधान खुद भी बहुत जागरूक हैं, वहां हर घर से निकलने वाला ग्रे वाटर (इस्तेमाल होने के बाद का पानी) को हर ग्रामीण अपने घर में बनाई गई बगिया या फूल, फल सब्जियों की वाटिका में ही उपयोग में लेते हैं. डीपीआरओ ने बताया कि ब्लैक वाटर (शौचालय से निकलने वाला वेस्ट वाटर) इसलिए नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा दो गड्ढे वाला शौचालय का डिजाइन बनाया हुआ है. उसी के अनुरूप इस गांव में शौचालय हैं. ये क्योंकि एक जालीदार गड्ढा होता है, जिस कारण उसमें से वेस्ट वाटर बाहर ही नहीं निकलता.

परंपरा के तौर पर अपनायाःरेनू श्रीवास्तव कहती हैं कि इस गांव में नाली की कोई आवश्यकता भी नहीं है. एक बूंद भी पानी यहां बर्बाद नहीं होता. बहुत साफ सुथरा सुन्दर गांव है. पानी का सुव्यवस्थित ढंग से संरक्षण भी इस गांव में हो रहा है. यह लोगों की जागरुकता है साथ ही ग्राम प्रधान और पंचायत सेक्रेटरी के द्वारा किए गये प्रयासों के बाद ही ऐसा संभव हो पाया है. गांव ने इसे एक परम्परा के तौर पर अपनाया और यह एक सुंदर गांव बन गया है. इस गांव में लोगों के घर के बाहर सुंदर सुंदर वाटिका भी बन गई हैं.

गांव में 2 हजार की आबादीःडीपीआरओ ने बताया कि प्रदेश स्तर पर इस गांव को प्रशंसा भी मिली है. मंडल का पहला ऐसा गांव है, जहां कोई नाली ही नहीं है. गांव की लगभग 2000 आबादी है . इस गांव को मॉडल गांव के तौर पर जिले में अन्य जिले के ग्राम प्रधानों को भी जागरूक किया जा रहा है. ग्राम प्रधानों को इस गांव को दिखाया जा रहा है, उन्हें बता रहे हैं कि अगर इस तरह से जलसंरक्षण करेंगे तो आगे आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा. इस गांव में जो कोशिश की गई है, उस बारे में शासन को भी अवगत कराया गया है.

किचन गार्ड में इस्तेमाल करते हैं पानीःपरीक्षितगढ़ विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी रामनरेश ने बताया कि सिकंदरपुर गांव बेहद ही खास है. यहां के ग्रामीण अपने घर में ही वेस्ट वाटर के उपयोग करके सब्जियां उगाते हैं. गांव ने अपने आप मे बेहद ही खूबसूरत मिशाल पेश की है. पहले गांव में नालियां थीं, लेकिन अब इस गांव में कोई नाली भी नहीं है. जो भी पानी है, उसे किचन गार्डन में इस्तेमाल किया जाता है.

पूरे गांव के सहयोग मिली अलग पहचानःसिकंदरपुर गांव की प्रधान सुषमा बताती हैं कि वह अकेले कुछ नहीं कर सकती थीं, इसमें पूरे गांव का सहयोग है. आज हमारे इस एक प्रयास से हमें पूरे मेरठ मंडल में अलग पहचान मिल रही है, जिससे हम उत्साहित हैं. जिला पंचायत विभाग के अफसरों का सहयोग उन्हें मिल रहा है.

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