सागर।मध्यप्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा ने "आ बैल मुझे मार "की तर्ज पर बैठे बिठाए मुसीबत मोल ले ली है. लोकसभा चुनाव के समय पर आलाकमान की नजर में अपने नंबर बढ़ाने और कांग्रेस का मनोबल तोड़ने के लिए भाजपा ने कांग्रेस के 3 विधायकों को तोड़ लिया. लेकिन इसके नफा नुकसान पर पहले मंथन नहीं किया. अब कांग्रेस के ये विधायक भाजपा के लिए मुसीबत और आपसी लड़ाई की वजह बन गए हैं. ताजा विवाद सागर जिले की बीना की कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की वजह से खड़ा हो गया है.
गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह में ठनी
दरअसल, निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का दामन तो थाम लिया लेकिन कांग्रेस विधायक के रूप में अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है. उनका कहना है "बीना को जिला बनाने और बीना के विकास के लिए जो मांगें उन्होंने भाजपा सरकार के समक्ष रखी हैं, उनके पूरे होने पर ही वह विधायक पद से इस्तीफा देंगी." हालांकि वह भाजपा के कार्यक्रमों में खुलकर शामिल हो रही हैं. लेकिन उनकी वजह से मौजूदा कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच तलवारे खिंच गई हैं. दरअसल, बीना और खुरई दोनों पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र हैं और लंबे समय से जिला बनाए जाने की मांग यहां हो रही है.
बीना में जिला बनाने के लिए आंदोलन शुरू
निर्मला सप्रे के रुख के कारण बीना में जहां जिला बनाए जाने के लिए आंदोलन शुरू हो गया है तो खुरई में भी धरना-प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है. अब मुसीबत ये है कि जिला बनाएं तो किसके लिए, क्योंकि दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लंबे अरसे से जिला बनाए जाने की मांग हो रही है. किसी एक को जिला बनाया जाना भाजपा के लिए घर बैठे मुसीबत मोल लेना होगा. सरकार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि वह जिला बनाने में आने वाला आर्थिक बोझ अपने सिर पर ले सके.
निर्मला सप्रे का आनन-फानन में कराया दलबदल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में सागर जिले की 8 विधानसभा सीटों में से सिर्फ बीना सीट ऐसी थी, जहां कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई थी. लेकिन विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद ही निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी का दामन थाम लिया. उन्होंने इस दलबदल की वजह विधानसभा क्षेत्र बीना के विकास को बताया. उनका दल बदल सागर लोकसभा सीट के लिए 7 मई को होने वाले मतदान के ठीक दो दिन पहले प्रचार समाप्त होने के दिन आननफानन में किया था. कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के राहतगढ़ में अचानक मुख्यमंत्री की चुनावी सभा आयोजित की गयी और कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे को भाजपा में शामिल कराया गया. दलबदल के घटनाक्रम को मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा अपनी राजनीतिक चाल के रूप में पेश किया गया.