New Technique of Soybean Farming: मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर सोयाबीन फसल की खेती की जाती है और हर साल किसान मालामाल होते हैं. मानसून आने में चंद दिन ही बाकी हैं ऐसे में किसान मानसून के पहले अपने खेत तैयार करने में जुटे हैं. सोयाबीन की फसल की बुआई का समय यही होता है. ऐसे में अब कई ऐसी नई तकनीक आ गई हैं कि इस विधि से बुआई करने पर आप और ज्यादा मालामाल हो सकते हैं.
नई तकनीक से किसान करें बुआई
कैश क्रॉप मानी जाने वाली सोयाबीन के बीज चयन से लेकर बीज उपचार की व्यवस्था किसान करने में जुट गए हैं लेकिन किसान भाई सोयाबीन बोने के लिए जिस पद्धति का इस्तेमाल करते हैं वह अब पुरानी हो चुकी है. अधिकांश किसानों को इसकी जानकारी नहीं है. यदि किसान आधुनिक तकनीक से सोयाबीन की बुआई करें तो वह सोयाबीन की फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. सोयाबीन उत्पादक किसान रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक से सोयाबीन की बुवाई कर बीज- खाद की भी बचत कर सकते हैं और बंपर पैदावार ले सकते हैं.
रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक जानिए
केवल सोयाबीन ही नहीं खरीफ के सीजन में बोई जाने वाली अन्य तिलहन और दलहन की फसलों को भी इस तकनीक से बुआई की जा सकती है.कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक बिका वास्के बताते हैं कि "रिज फेरो तकनीक में सिड्रिल द्वारा मेड़ और नालीदार संरचना बनाते हुए बीज की बुवाई की जाती है. जिससे अधिक बारिश होने की स्थिति में भी पानी नाली से बहकर खेत से बाहर हो जाता है. वहीं रिज्ड बेड तकनीक में प्लांटर की मदद से खेत में बेड बनाया जाता है और खाद के साथ बीज की बुवाई भी प्लांटर से ही हो जाती है. बेड पर सोयाबीन की बुवाई करने से बीज और खाद की मात्रा कम लगती है. पौधे से पौधे की दूरी और बेड से बेड की दूरी पर्याप्त होने से पौधे का फैलाव अधिक होता है. अधिक बारिश होने की स्थिति में पौधों में गलन की समस्या नहीं होती है. बारिश की लंबी खेंच होने पर भी बेड में नमी बनी रहती है. जिससे फसल खराब नहीं होती है. रिज्ड बेड प्लांटर से बुवाई के लिए सोयाबीन की अधिक फैलाव वाली किस्म का चयन किया जाता है. जिससे सोयाबीन का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है."