जयपुर : साइबर ठगी की लगातार बढ़ती वारदातें आमजन के साथ ही पुलिस के लिए भी चिंता का सबब बन रही हैं. शातिर साइबर ठग आए दिन अपराध का पैटर्न बदल देते हैं, जिसके कारण पुलिस की मुहिम भी फीकी पड़ जाती है. हाल में जयपुर में हुई एक वारदात में फिर से साइबर ठगों के बढ़ते बेलगाम कदम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. साइबर क्राइम के लगातार बढ़ते मामले आमजन के साथ ही पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का सबब बन रहे हैं. ऐसे में लोग जाने-अनजाने में लाखों करोड़ों रुपए की साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं. साइबर ठगी की दुनिया में अब डिजिटल अरेस्ट की सबसे ज्यादा चर्चा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.
इस तरह किया जाता है डिजिटल अरेस्ट :पहले कॉल और फिर वीडियो कॉल कर साइबर ठग अपने शिकार को झांसे में लेते हैं. वे पहले कॉल करते हैं और उनके खिलाफ शिकायत, सबूत या जांच होने की बात कहकर डराते हैं. इसके बाद वे उन्हें कुछ खास एप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं. इस दौरान सामने स्क्रीन पर दिखाई देने वाले शख्स की वर्दी और हावभाव ऐसे होते हैं कि पीड़ित सच में उसे किसी जांच एजेंसी का बड़ा अधिकारी समझ बैठता है और अपनी सारी जानकारी साझा कर देता है.
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जांच के नाम पर ठग रकम खातों में ट्रांसफर करते हैं. पुलिस के मुताबिक शातिर साइबर अपराधी अपने शिकार को चंगुल में फंसाने के बाद उसे मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित करते हैं कि वह अपने बैंक खातों के साथ ही अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी उनसे शेयर कर देता है. इसके बाद वे बड़ी मात्रा में रकम पीड़ित के बैंक खाते से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं और जांच पूरी होने के बाद रकम लौटाने का भरोसा दिलाते हैं. इस दौरान वे शिकार को सख्त हिदायत देते हैं कि किसी को भी इसके बारे में नहीं बताए. इससे समय पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है.
आम हो या खास, सावधानी ही बचाव : साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश लगातार वारदात का तरीका बदलते रहते हैं. कई बार काफी पढ़े लिखे और समझदार लोग भी उनका शिकार बन जाते हैं. ऐसे में सावधानी रखकर और जागरूक बनकर ही साइबर ठगी की वारदातों से बचा जा सकता है. किसी भी अनजान शख्स को कॉल या वीडियो कॉल पर अपनी निजी या बैंक खातों संबंधी जानकारी शेयर करने से बचना चाहिए.