छत्तीसगढ़ के स्वामी आत्मानंद कॉलेज में सीटें रह गई खाली, जानिए कितने स्टूडेंट्स् का हुआ एडमिशन - new education policy Effect
छत्तीसगढ़ में आत्मानंद स्कूल के साथ साथ आत्मानंद कॉलेज भी संचालित हो रहे हैं. इस संस्थान में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स का क्रेज हमेशा हाई रहता है. इस बार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम कॉलेज में सीटें खाली रह गई है. जानिए क्या है वजह ?
सरगुजा: छत्तीसगढ़ में नए शिक्षण सत्र की शुरुआत हो चुकी है. स्कूल के बाद अब कॉलेज में भी नया सत्र शुरू हो चुका है. इस बीच सरगुजा के आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज में भी नए सत्र को लेकर एडमिशन हो चुका है. नए सेशन की शुरुआत हो चुकी है लेकिन इस कॉलेज में 950 सीटों में से 607 सीटें खाली रह गई है. ऐसा क्यों हुआ इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम कॉलेज सरगुजा का हाल जानिए: अंबिकापुर के केशवपुर आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज सरगुजा में इस साल कुल 343 सीटों पर प्रवेश हुआ है. बाकी की 607 सीटें खाली रह गई है.
"इस साल सरगुजा जिले के स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम कॉलेज में बीएससी फर्स्ट इयर में 135 एडमिशन हुए हैं. जबकि 165 सीट खाली रह गई. यूजी के तीनों वर्ष में कुल 320 एडमिशन हुए हैं. एमएससी केमेस्ट्री में 25 में 15 एडमिशन, मैथ में 25 में 8 एडमिशन हुए हैं. कॉलेज की कुल 950 सीटों में 343 सीट पर ही एडमिशन हुए हैं": डॉ. जेवियर कुजूर, प्रिंसिपल, अंबिकापुर केशवपुर आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज
किन विषयों की होती है पढ़ाई: अंबिकापुर के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज में सिर्फ साइंस विषय की पढ़ाई होती है. यहां बीएससी के सभी विषय और 2 विषयों के साथ एमएससी के क्लास संचालित हैं. अन्य विषयों की क्लास शुरू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. यहां बीएससी प्रथम वर्ष के लिये 300 सीट, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिये 300-300 सीट उपलब्ध हैं. जबकि एमएमसी प्रथम औ द्वितीय वर्ष के लिये 25-25 सीटें हैं.
एडमिशन डेट में बदलाव बनी वजह: स्वामी आत्मानंद कॉलेज में एडमिशन में कमी आने की वजह से नई शिक्षा नीति बताई जा रही है. पहले इन कॉलेजों में 14 अगस्त तक प्रवेश होता था. अब नई शिक्षा नीति की वजह के 31 जुलाई को ही एडमिशन प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है. दूसरी वजह छात्र छात्राओं के कृषि कार्य में लगा होना भी सामने आया है. सरगुजा कृषि प्रधान संभाग माना जाता है. यहां खरीफ की फसल की रोपनी में छात्र छात्राएं अपने गांव में लगे होते हैं यही वजह है कि वह एडमिशन में हिस्सा ले नहीं पाए. ऐसे में सरगुजा यूनिवर्सिटी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.