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एसीबी के नए डीजी डॉ. रवि प्रकाश ने संभाला पदभार, कहा- निर्दोष फंसे नहीं और कसूरवार बचे नहीं - New DG of ACB - NEW DG OF ACB

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के नए मुखिया के रूप में डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने डीजी के पद पर कार्यभार संभाला लिया है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि कोई निर्दोष नहीं फंसे और जिसने गुनाह किया है, वो बचे नहीं, यह प्राथमिकता होगी.

एसीबी के नए डीजी ने संभाला पदभार
एसीबी के नए डीजी ने संभाला पदभार (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 3, 2024, 6:10 PM IST

एसीबी के नए डीजी ने संभाला पदभार (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के नए मुखिया के रूप में डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने आज महानिदेशक (डीजी) के पद पर कार्यभार संभाल लिया है. उन्होंने आज एसीबी मुख्यालय पहुंचकर कार्यभार संभाला और अधिकारियों की बैठक लेकर चर्चा की. इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई निर्दोष नहीं फंसे और जिसने भ्रष्टाचार किया है, वो बचे नहीं, यही प्राथमिकता रहेगी. उन्होंने एसीबी की हेल्पलाइन 1064 का ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच प्रचार करने और पेंडेंसी कम करने पर भी जोर दिया.

पदभार संभालने के बाद डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने कहा कि गैर कानूनी तरीके से पैसे कमाने वाले भ्रष्टाचारियों के कारण जनता को परेशानी होती है. उनके काम नहीं होते हैं और काम करवाने के बदले उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो है. हम सरकार के सभी विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर एक्शन लेने का काम करते रहते हैं.रवि प्रकाश मेहरड़ा ने कहा कि आज एसीबी में डीजी के रूप में पदभार ग्रहण किया है. अभी अधिकारियों से प्रारंभिक चर्चा हुई है. अब सभी योजनाओं और अन्य विषयों जैसे पेंडेंसी का लेखा-जोखा लिया जाएगा. किस तरह से काम को गति दी जाए और सुधार किया जाए, इस पर फोकस रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि एसीबी के अधिकारियों ने पहले भी अच्छा काम किया है. उसे हम आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे. काम में सुधार की जो भी बात होगी. उसमें टीम वर्क की भावना से सभी की भागीदारी होगी.

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पेंडेंसी और संसाधनों को लेकर कही यह बात :पेंडेंसी और सूचना तंत्र की मजबूती के सवाल पर उन्होंने कहा कि पेंडेंसी के पीछे बहुत से कारण होते हैं. इनमें से कई पर विभाग का कंट्रोल नहीं होता. बहुत से ऐसे कारण हैं, जो रिसोर्सेज पर निर्भर हैं. पेंडेंसी के कई कारणों का तत्काल रूप से कोई समाधान नहीं होता है. हम अधिकारियों के साथ मंथन करेंगे कि पेंडेंसी को कैसे कम किया जाए. साथ ही संसाधनों में किस तरह से बढ़ोतरी की जाए, जिससे काम में गति और गुणवत्ता आए, इस पर भी फोकस करेंगे.

हेल्पलाइन नंबर 1064 को करेंगे मजबूत :डॉ. रवि प्रकाश ने कहा कि एसीबी हेल्पलाइन का नंबर 1064 सभी को दिया हुआ है. इस नंबर का लगातार प्रचार भी किया जा रहा है. इसका असर यह हुआ है कि हेल्पलाइन पर काफी शिकायतें आ रही हैं. बहुत सी जानकारियां आ रही हैं. जिन पर लगातार कार्रवाई भी की जा रही है. इसे और मजबूत करेंगे. इस हेल्पलाइन के बारे में जहां-जहां लोगों को नहीं पता है. वहां तक पहुंच बनाकर इसका प्रचार प्रसार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जानकारी देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा. विभाग के सूचना तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा.

कायम रहे एसीबी का इकबाल :मेहरड़ा ने कहा कि लोगों की भ्रष्टाचार को लेकर जो शिकायतें हैं. इसे लेकर जो आम धारणा है. उसे कैसे दूर किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की जा सके और एसीबी का इकबाल बरकरार रहे. इस पर काम किया जाएगा, ताकि लोग भ्रष्टाचार करने से पहले सोचे. उन्होंने कहा कि एक घूसखोर पर कार्रवाई से कई अन्य लोगों पर असर पड़ता है और वे ऐसा करने से पहले सोचते हैं.

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कार्यप्रणाली में लाएंगे पारदर्शिता :एसीबी की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों को लेकर उन्होंने कहा कि "मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगा कि हम कार्यप्रणाली को पारदर्शी रखने की कोशिश करेंगे. सभी पक्षों को कानून की नजर में न्याय मिलना चाहिए. कोई निर्दोष नहीं फंसे और जिसने गलत किया है. वो बचे नहीं. बहुत से लोग कई बार पीड़ित भी हो जाते हैं. कोशिश करेंगे कि जो निर्दोष आदमी है, वो कहीं नहीं फंसे. कई बार केस वैसा नहीं निकलता है, जैसा लोगों ने परसेप्शन बनाया हुआ होता है."

सही तथ्यों-सबूतों के साथ हो शिकायत :डॉ. रवि प्रकाश ने कहा कि हम अपनी ऊर्जा और समय सही और वास्तविक केस में लगाना चाहते हैं. भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई में लगाना चाहते हैं. हमारा समय और संसाधन अगर सही दिशा में नहीं लगता है तो ठीक नहीं होगा. इसलिए यह भी अपील है मोटिवेटेड या इस तरह की शिकायत नहीं करें, जिसमें ठोस सबूत ना हो, ताकि हमारा समय बच सके और सही मामलों में समय दे सकें. विभाग के पास चाहे पांच हजार रुपए के भ्रष्टाचार की शिकायत हो या ज्यादा की. कानून उसमें फर्क नहीं करता है, लेकिन यह भी सही है कि बड़ी कार्रवाइयों से ज्यादा असर पड़ता है. इसलिए बड़ी कार्रवाइयों पर ज्यादा फोकस रहेगा.

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