राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

सतीश पूनिया : पिता से मिली सीख और मां से लाड़-दुलार, जानिए वो किस्से जो आज भी देते हैं तकलीफ - NETAJI NON POLITICAL

नेताजी नॉन पॉलिटिकल में मिलिए सतीश पूनिया से. सुनिए क्यों मां के झुमके चले जाने पर हुआ था मलाल ?

NETAJI NON POLITICAL
नेताजी नॉन पॉलिटिकल में मिलिए सतीश पूनिया से (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 23, 2024, 6:35 AM IST

जयपुर :डॉ. सतीश पूनिया राजनेता होने के साथ-साथ एक पारिवारिक शख्स और बेहद भावुक किरदार भी हैं. इस बार की नॉन पॉलिटिकल सीरीज में उनकी बातों में बचपन में पिता से मिली सीख, मां से मिला लाड़-दुलार, छात्र जीवन का संघर्ष और राजनीति के उतार-चढ़ाव के बीच परिवार की ताकत का अहसास देखने को मिला. सतीश पूनिया ने मां से मिलने वाले पैसों से जुड़े किस्से के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा कि मां अक्सर पैसों की बचत करती थी और जन्मदिन से लेकर चुनाव लड़ने के लिए जाने पर आशीर्वाद के रूप में उन्हें देना नहीं भूलती थी. उनके पास आज भी मां से मिले वो पैसे रखे हैं. पूनिया बताते हैं कि छोटी-छोटी बचत ही उन्हें गांव से शहर लेकर आई और इसी की बदौलत उन्हें अपनी छत भी मिली थी. सतीश पूनिया शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे छात्र जीवन में पैसों का उनके लिए महत्व होता था. हर महीने आखिरी तारीख का इंतजार और घर वालों से मिलने की बेसब्री धन की जरूरत को बयां करती है. यहां तक कि वे कॉलेज के दिनों में विधायकपुरी से महाराज कॉलेज तक पैदल सफर किया करते थे.

इसे भी पढ़ें -लिव इन में रहने के बाद मंत्री जी ने की थी शादी, दो पत्नियों के साथ आबाद है घर संसार - NETAJI NON POLITICAL

जब मां ने पैसों के लिए गिरवी रखी बालियां :छात्र जीवन के संघर्ष को याद करने के साथ ही सतीश पूनिया अपने एक किस्से को लेकर भावुक हो जाते हैं. वे बताते हैं कि कैसे विद्यार्थी परिषद में कार्य करते हुए उन्हें एक बार किसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाहर जाना था. इसी दौरान पिताजी की जगह उन्होंने अपनी मां से पैसों की जरूरत का जिक्र किया और पूनिया की माताजी ने भी बेटे की ख्वाहिश के लिए देर नहीं की. अगली सुबह जब मां को सूने कानों उन्होंने देखा तो कारण पूछा. इस पर अपनी मां के जवाब को सुनकर सतीश पूनिया की आंखें भर आईं, जब उन्हें मां ने यह बताया कि पैसों के लिए उन्होंने पड़ोसी के पास अपने कान की बालियों को गिरवी रख दिया था. पूनिया कहते हैं कि बालियां वापस आ गईं, लेकिन यह किस्से आज भी तकलीफ देते हैं.

वरिष्ठ भाजपा नेता सतीश पूनिया से ईटीवी भारत की खास बातचीत (ETV BHARAT JAIPUR)

दो हादसे लेकर आए राजनीति के करीब : इसी तरह से अपने पिता को याद करते हुए सतीश पूनिया कहते हैं कि उनके परिवार का कुम्भाराम आर्य से संपर्क था. वे ही पूनिया के पिता को नौकरी छुड़ाकर राजनीति में लेकर आये थे और राजगढ़ पंचायत समिति के प्रधान काफी समय तक रहे. पूनिया मानते हैं कि वे बचपन से फौज में जाना चाहते थे या फिर उन्हें डॉक्टर बनना था, लेकिन पिता की राजनीति और परिवार का वंशानुगत प्रभाव उन्हें खुद ब खुद राजनीति के करीब लेकर आ गया. सतीश पूनिया अतीत का जिक्र करते हुए बताते हैं कि उनके जीवन में घटी दो दुखद घटनाओं में उनके बड़े भाई का ब्रेन फीवर से चले जाना और पिता का 1987 में रोड एक्सीडेंट में जाना जिंदगी को प्रभावित कर गया. कॉलेज के दौर में इस मुश्किल हालात में उन्हें आरएसएस और एबीवीपी से ही संरक्षण मिला, जिसके कारण वे ना चाहते हुए भी राजनीति से जुड़ गए.

अपनों के बीच पूनिया (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

इसे भी पढ़ें -मेयर सौम्या गुर्जर : बिन बुलाए शादी में बनीं मेहमान, स्कूल में हुई थी पिटाई ? भागवत गीता से मिलती है प्रेरणा - Netaji Non Political - NETAJI NON POLITICAL

राजनीति में गुरु नहीं बनाया :सतीश पूनिया साफगोई के साथ बताते हैं कि उन्हें राजनीति में प्रभावित करने वाली कई शख्सियत मिली, लेकिन राजनीतिक गुरु के रूप में कोई किरदार नहीं था. पूनिया मानते हैं कि जिसे आप आध्यात्मिक रूप से स्वीकार करें या जो आपको स्वीकार करें, वह गुरु हो सकता है . पूनिया इस बात को लेकर कहते हैं कि राजनीतिक नजरिए से कई बार मेरिट और डिमेरिट जैसा सवाल हो जाता है, इसलिए वे व्यक्ति परख राजनीति से परे संगठन को अपने नजरिए से गुरु मानते हैं. हालांकि, पूनिया बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें एक नेता के रूप में हमेशा प्रभावित किया था.

विद्यार्थी परिषद से हुआ आगाज (ETV BHARAT)

परिवार और पत्नी को माना ताकत :सतीश पूनिया कहते हैं कि उन्हें किताबें पढ़ने का काफी शौक रहा है. स्कूल के दिनों में हिन्दी के ख्यातनाम लेखकों को उन्होंने पढ़ा. इसके अलावा पूनिया ने बताया कि वे फिल्में देखना भी काफी पसंद करते हैं. किशोर कुमार उनके पसंदीदा गायक हैं, जब भी वे किताब नहीं पढ़ पाते हैं और फिल्में नहीं देख पाते हैं, तो सतीश पूनिया गाने सुनते हैं और उन्हें इम्तिहान फिल्म का गीत, रुक जाना नहीं कभी हारे के...काफी पसंद है. सतीश पूनिया मानते हैं कि अक्सर लोग राजनीतिक किरदार के पीछे झांक कर नहीं देखते हैं. ऐसे में कमजोरी वाले हालात में परिवार ही ताकत बनता है और एक घर को भी परिवार की समरसता ही बनाती है. संघर्ष के दिनों में परिवार से दूर रहने के कारण इस कमी को महसूस करने की वजह से अब उन्हें परिवार की ताकत का अंदाजा हो चुका है. वे बताते हैं कि हर मुश्किल हालात में पत्नी ने उनका साथ दिया है.

मां का आशीर्वाद लेते पूनिया (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें -नेताजी नॉन पॉलिटिकल में मिलिए पीसीसी चीफ डोटासरा से ,फूफाजी से लेकर फटकारे और मोरिया बुलाने पर कही यह बात - govind singh Dotasara

मुश्किल घड़ी में बेटी की चॉकलेट ने दी ताकत :सतीश पूनिया कई बार अपनी बेटी के साथ रील्स पर भी नजर आते हैं. अपनी बेटी के साथ कैमरे पर कैद लम्हों में एक वायरल वीडियो पर सतीश पूनिया अपनी आंखों को भर लेते हैं. अपने सबसे करीब बेटी को देखने वाले पूनिया बताते हैं कि जब उन्होंने पार्टी के मुखिया वाले पद को लेकर आलाकमान के निर्णय को सुना , तो वह लम्हा उनके लिए काफी मुश्किल था. पूनिया बताते हैं कि पार्टी के फैसले को लेकर विवेचना से परे, उसे स्वीकार करना उनके लिए काफी कठिन रहा. ऐसे वक्त में दिल्ली में उन्होंने ईश्वर के बाद अपनी बेटी को ही याद किया, जो इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ रही. जयपुर लौटने के दौरान माहौल को हल्का बनाने के लिए उनकी बेटी अनुष्का ने अपने पिता को एक चॉकलेट खिलाई, जिसका वीडियो काफी दिनों तक सोशल मीडिया पर चर्चित रहा था.

वरिष्ठ भाजपा नेता सतीश पूनिया अपनी जीवनसंगिनी मोहिनी पूनिया के साथ (ETV BHARAT)

बेटे में नजर आता है दोस्त : सतीश पूनिया बताते हैं कि उन्हें राजनीति से परे जब बच्चों के साथ वक्त बिताने का मौका मिलता है, तो वह उसे हाथ से नहीं जाने देते हैं. फिर चाहे बात बाहर खाने की हो या मूवी देखने की हो, वे बच्चों के साथ हो जाते हैं. यहां तक की प्ले ग्राउंड तक वे उनके साथ जाते हैं. सतीश पूनिया मानते हैं कि पुत्र, पिता का प्रतिबिंब होता है. ऐसे में हर पिता की ख्वाहिश होती है कि पिता के अधूरे सपने को उनका बेटा पूरा करे. पूनिया पाकिस्तान के एक वीडियो का जिक्र करते हुए बताते हैं कि कैसे एक शख्स पिता को गले लगाने की अधूरी ख्वाहिश के पीछे वाले डर को बयां करता है, क्योंकि उस वक्त ऐसा मुमकिन नहीं है. साथ ही वे मानते हैं कि आज की पीढ़ी में बेटा ही अपने पिता को अच्छा दोस्त होता है और वे अपने पुत्र महीप को भी इसी तरह देखते हैं, इसलिए वे उनके साथ उसी समझ के साथ सारी बातें भी साझा करते हैं.

इसे भी पढ़ें -मजदूर से उपमुख्यमंत्री तक का सफर, डिप्टी सीएम की पत्नी ने भी किया था मनरेगा में काम - Deputy CM Bairwa Inside Story

जन्मदिन पर जलसे की जगह बेटी : एक घटना का जिक्र करते हुए सतीश पूनिया बताते हैं कि कैसे राजनीति में एक जन्मदिन पर आई भीड़ उनके लिए विवाद का विषय बन गई. ऐसे में उन्होंने इस खास मौके को उद्देश्यपरक बनाने की सोच रखी. इस दौरान पीएम मोदी की सुकन्या समृद्धि योजना ने उन्हें प्रभावित किया. त्रिपुरा सुंदरी में कन्या पूजन के बाद भेंट में कुछ स्थायी व्यवस्था की सोच बाद में एक सार्थक पहल में तब्दील हो गई. पूनिया मानते हैं कि राजनीतिक आपाधापी के बीच इस तरह का काम आज उन्हें सुकून देता है. इसी के साथ ही मूमल नाम की बालिका का जिक्र भी आया, जिसे पूनिया ने क्रिकेट का किट भेंट किया था. पूनिया ने बताया कि उन्हें क्रिकेट काफी पसंद है और मूमल का खेल उन्हें काफी पसंद आया था. इस बीच बाड़मेर में बाढ़ में अपनी किताबें खो देने वाली बच्ची का किस्सा भी पूनिया ने बताया कि कैसे मदद भविष्य की राह तय करती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details