लखनऊ : सुबह पौने छह बजे का समय हो रहा था. कैसरबाग डिपो से निकलकर रोडवेज बस कैसरबाग बस स्टेशन के प्लेटफार्म पर लग चुकी थी. चालक बस स्टेशन के प्लेटफार्म पर बस लगाने के बाद सीटों को भी व्यवस्थित कर चुका था. बस कंडक्टर भी इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीन हाथ में थाम चुका था. सवारियां भी सीटों पर जगह ले रही थीं. बस स्टेशन से बस मंजिल की तरफ रवाना होने को तैयार थी. इतने में कुछ यात्री बस के चालक से सवाल कर बैठते हैं कि बस कहां जाएगी, बस के नीचे खड़ा संविदा चालक नसीरुल्लाह तैश में आकर कहता है कि बस में आगे बोर्ड लगा है जिस पर साफ लिखा है वह नहीं दिखता.
इस पर यात्री कहते हैं कि बस पर तो लखनऊ से हरदोई का बोर्ड लगा है. लेकिन, इस समय पर जो बस चलती है वह तो मल्लावां, सांडी वाया हरपालपुर होते हुए फर्रुखाबाद जाती है. यह वह बस है ही नहीं. इसके बाद चालक के कान खड़े होते हैं. बस के अगले हिस्से पर जाकर देखता है तो पता चलता है कि डिपो से बस स्टेशन के लिए दूसरी बस ही उठा लाया था. इसके बाद चालक आननफानन में वापस बस को डिपो लेकर जाता है. उसके बाद बस स्टेशन के लिए लखनऊ फर्रुखाबाद वाली बस लेकर आता है तब जाकर उस बस में यात्री बैठकर मंजिल के लिए रवाना हो पाते हैं. इस बस बदलने के चक्कर में सर्दी में यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
रोडवेज के कई किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन ऐसा किस्सा शायद ही पहले आपको सुनने को मिला हो कि कोई बस चालक डिपो में अपने रूट की बस छोड़कर दूसरी ही बस लेकर रूट पर रवाना होने के लिए निकल लिया हो. बाकायदा डिपो से एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर बस स्टेशन पर यात्रियों को बिठा भी लिया हो और यात्री के कहने पर चालक को याद आया हो कि वह अपनी बस तो डिपो में ही भूल गया है उसके बदले में दूसरी बस निकाल लाया है. ऐसा हास्यास्पद मामला शनिवार को कैसरबाग डिपो में सामने आया. बस का चालक अपनी बस डिपो में ही भूल आया.