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आरआरटीएस परियोजना के लिए NCRTC को मिला प्लेटिनम ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड - NAMO BHARAT RAPID RAIL

आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए एनसीआरटीसी को 14वें प्लेटिनम ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड-2024 से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान गाजियाबाद- मेरठ कॉरिडोर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए दिया गया है.

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एनसीआरटीसी को मिला प्लेटिनम अवार्ड (RRTS Page From Twitter)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 3, 2024, 7:44 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) को आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए 14वें प्लेटिनम ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड-2024 से सम्मानित किया गया है. नई दिल्ली में आयोजित 15वें विश्व अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सम्मेलन के दौरान यह सम्मान एनर्जी एंड एंवायरनमेंट फ़ाउंडेशन (ईईएफ) द्वारा प्रदान किया गया.

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने कहा कि यह पुरस्कार, अपनी तरह की पहली आरआरटीएस परियोजना के माध्यम से सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव बनाने हेतु एनसीआरटीसी के योगदान और प्रतिबद्धता के लिए प्रदान किया गया है. पर्यावरण के अनुकूल नमो भारत ट्रेनें एनसीआर में जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक बढ़ा रही हैं, क्योंकि इससे क्षेत्रीय आवागमन तेज, अधिक सुविधाजनक, विश्वसनीय और आरामदायक हो रहा है.

देश की पहली रैपिड रेल (ETV Bharat)

एनसीआरटीसी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आरआरटीएस कॉरिडोर में सौर ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाकर अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया है. एनसीआरटीसी का लक्ष्य अपने सौर ऊर्जा संसाधनों से सालाना 11 मेगावाट अक्षय ऊर्जा पैदा करना है और इसमें से 3 मेगावाट अक्षय ऊर्जा वर्तमान में पैदा की जा रही है, जिससे सालाना 3,100 टन कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी. एनसीआरटीसी द्वारा 11 मेगावाट अक्षय ऊर्जा पैदा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर सालाना कुल 11,500 टन कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी.

रैपिड रेल कॉरिडोर (ETV Bharat)

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दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के सम्पूर्ण रूप से संचालित होने पर सार्वजनिक परिवहन के उपयोग में 37 प्रतिशत से बढ़कर 63 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि होने की उम्मीद है. इससे यातायात की भीड़ को काफी हद तक कम करने और निजी वाहनों पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी. इस कॉरिडोर के एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ के बीच सड़कों से प्रतिदिन एक लाख से अधिक वाहनों के कम होने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में सालाना लगभग 250,000 टन की कमी आने की उम्मीद है.

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