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नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर NDA में रार, बीजेपी नेताओं के बाद अपना दल ने भी किया विरोध, अनुप्रिया बोलीं-अफसरों ने किया गुमराह - nazul land bill passed up assembly

नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर बीजेपी और NDA के साथ अब अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सरकार को नजूल संपत्ति विधेयक तुरंत वापस लेने की मांग की है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर इसका विरोध जताया है.

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अनुप्रिया पटेल का नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर विरोध (photo credit- Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 11:09 AM IST

लखनऊ:यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सरकार को न सिर्फ विपक्ष बल्कि अपने ही विधायकों का विरोध झेलना पड़ा है. अब इसको लेकर सहयोगी दलों ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया है. बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पास किए गए नजूल संपत्ति विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग की है. गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर विरोध जताया. इससे पहले भी अनुप्रिया योगी सरकार को ओबीसी आरक्षण, टोल प्लाजा और 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर भी पत्र लिख चुकी हैं.

अनुप्रिया पटेल ने एक्स पर लिखा कि, नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को भेज दिया गया है. व्यापक विमर्श के बिना लाए गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है, कि यह विधेयक न सिर्फ गैर जरूरी है, बल्कि आमजन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है. उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए. इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए.

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दरअसल, नजूल बिल को लेकर न सिर्फ सपा बल्कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी बुधवार को विधानसभा में विरोध किया था. बीजेपी विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्षवर्धन ने भी इस मुद्दे पर विरोध किया था. विधान परिषद में गुरुवार को प्रश्नकाल के बाद जब नजूल बिल पर चर्चा शुरू हुई तो, विपक्ष ने इस पर विरोध जताया. इतना ही नहीं परिषद में भी सत्ताधारी दल के नेता ने इस बिल का विरोध किया. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी इसको संतुष्टिपरक नहीं बताया. उन्होंने विधान परिषद सभापति से अनुरोध किया, कि इस बिल को प्रवर समिति के लिए भेज दिया जाए, जहां इसका परीक्षण किया जाएगा. संशोधनों के बाद इसे लागू किया जाएगा.

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