वाराणसी : तीन अक्टूबर से शुरू हुई नवरात्र के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विधान माना गया है. इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय होने के कारण अष्टमी और नवमी के पूजन को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. कोई 10 तो कोई 11 अक्टूबर को अष्टमी मनाई जाने की बात कर रहा है. काशी विद्वत परिषद के पूर्व पदाधिकारी और ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर को हो रही है लेकिन उदया तिथि की वजह से इसका मान और पूजन 11 अक्टूबर को ही माना जाएगा. ऐसे में नवमी तिथि भी 11 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस बार के नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय है. इसलिए 11 अक्टूबर को ही महाष्टमी व्रत व महानवमी व्रत दोनों किया जाएगा. महाष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को प्रात: 07:29 पर लगेगी जो 11 अक्टूबर को प्रात: 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. इसके बाद 06 बजकर 52 मिनट से नवमी तिथि लग जाएगी जो 12 अक्टूबर की भोर 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. उसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी. नवमी का हवन-पूजन आदि नवमी में करना चाहिए.
कन्या पूजन और अष्टमी का हवन 11 को :पंडित ऋषि द्विवेदी का मानना है कि नवमी तिथि का क्षय हो रहा है और अष्टमी तिथि सूर्य उदय के बाद 10 तारीख को मिल रही है. इसलिए दर्शन पूजन इत्यादि 10 अक्टूबर को किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी का कन्या पूजन और अष्टमी का हवन 11 अक्टूबर को ही करना होगा. यानी अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को 6:52 सुबह तक रहेगी. इसके पहले अष्टमी का पूजन और हवन करना होगा. नवमी तिथि सुबह 7:29 पर लग रही है और दूसरे दिन सूर्य उदय से पहले ही खत्म हो जा रही है. इस वजह से नवमी का मान भी उसी दिन किया जाएगा. नवमी का पूजन और हवन के साथ कन्या पूजन भी इसी दिन संपन्न करेंगे.