झांसी :मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के दम पर पूरी दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलाई. इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद की आज 119वीं जयंती है. इसे हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. केंद्र के साथ राज्य सरकार भी लगातार हॉकी के जादूगर की स्मृतियों को सहेजने का काम कर रही है. इसके तहत कई कार्य कराए जा रहे हैं.
सीएम योगी के मार्गदर्शन में झांसी में दद्दा (मेजर ध्यानचंद) की स्मृतियों से जुड़े 'हीरोज ग्राउंड' को झांसी विकास प्राधिकरण ने उच्चीकृत करते हुए यहां सुविधाओं का विस्तार किया है. इसे नया लुक देने का काम किया. वहीं, झांसी स्मार्ट सिटी ने रानी लक्ष्मीबाई पार्क में ध्यानचंद म्यूजियम का निर्माण कराया है. यहां दद्दा के जीवन की यादगार कहानियों को अनूठे अंदाज में प्रदर्शित किया गया है. पिछले साल सीएम योगी ने झांसी पहुंचकर इसका लोकार्पण किया था. इसके अलावा योगी सरकार ने मेरठ में दद्दा के नाम पर प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय का भी निर्माण करा रही है. बुधवार को यूपी सरकार की ओर से जयंती से पूर्व एक प्रेस रिलीज जारी कर मेजर ध्यानचंद से जुड़ी स्मृतियों के सहेजने के लिए क्या-क्या कार्य कराए जा रहे हैं, इसकी विस्तार से जानकारी दी गई.
झांसी के म्यूजियम में हैं कई निशानियां. (Photo Credit; ETV Bharat) हीरोज ग्राउंड में ध्यान चंद ने घंटों अभ्यास कर दुनिया में कमाया नाम :झांसी के सीपरी बाजार में मेजर ध्यानचंद के आवास के निकट स्थित हीरोज ग्राउंड दद्दा के खेल के शुरुआती दिनों से जुड़ा रहा है. इस ग्राउंड पर वह खुद घंटों अभ्यास किया करते थे. इसके साथ ही संन्यास लेने के बाद उन्होंने इसी ग्राउंड पर हजारों खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जो आगे चलकर हॉकी के राष्ट्रीय खिलाड़ी बने. इसी ग्राउंड के एक हिस्से में दद्दा की समाधि है. झांसी विकास प्राधिकरण ने इस ग्राउंड के चारों ओर बाउंड्री वाल, लाइटिंग, ट्रैक निर्माण और घास लगवाने का काम किया. इसके एक हिस्से में मेजर ध्यानचंद की स्मृति में संग्रहालय का निर्माण कराया गया है. ग्राउंड की दीवारों पर मेजर ध्यानचंद से जुड़ी आकर्षक पेंटिंग्स बनाई गईं हैं. मेजर ध्यानचंद के प्रशंसक झांसी में इस ग्राउंड का अवलोकन करने जरूर आते हैं. हालांकि मौजूदा समय में रख-रखाव न होने की वजह से हीरोज ग्राउंड और वॉक ट्रैक की हालत खराब होती जा रही है.
झांसी में मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस है मेजर ध्यानचंद म्यूजियम :झांसी स्मार्ट सिटी ने रानी लक्ष्मीबाई के किले की तलहटी में रानी लक्ष्मीबाई पार्क में मेजर ध्यानचंद म्यूजियम का निर्माण कराया है. इसका लोकार्पण 29 अगस्त, 2023 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था. मेजर ध्यानचंद संग्रहालय विश्व का दूसरा और एशिया का पहला हॉकी संग्रहालय है, जो मेजर ध्यानचंद को समर्पित है. इस संग्रहालय में मेजर ध्यानचंद के द्वारा जीते गए ओलंपिक पदकों के साथ ही हॉकी से जुड़ी उनकी निजी वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया है.
इसी मैदान में प्रैक्टिस करते थे हॉकी के जादूगर. (Photo Credit; ETV Bharat) इसमें डिजिटल डिस्प्ले की मदद से मेजर ध्यानचंद के व्यक्तित्व और खेल जीवन को प्रदर्शित किया गया है. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के कारण यह संग्रहालय झांसी में पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है. उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के हॉकी फैंस यहां मेजर ध्यानचंद को जानने के लिए यहां आते हैं. शुरुआती समय में म्यूजियम को पर्यटकों के लिए निशुल्क किया गया था. कुछ समय पहले म्यूजियम में प्रवेश के लिए भरी भरकम शुल्क लगाया गया है. इससे प्रवेश करने वालों की संख्या में कमी आई है. इसी संग्रहालय के पास सीएम योगी ने मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा का भी अनावरण किया था.
दद्दा के नाम पर मेरठ में बन रहा खेल विश्वविद्यालय :उत्तर प्रदेश सरकार हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का निर्माण करा रही है. यहां खिलाड़ियों को सभी प्रकार के खेलों की सुविधा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. इस विश्वविद्यालय के तैयार हो जाने के बाद इसमें 540 पुरुष और 540 महिला खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी. यही नहीं, खेलों से जुड़े अनेक पाठ्यक्रम में यहां पढ़ाई कराई जाएगी. इसके माध्यम से सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि खेलों से जुड़े अन्य कोर्सेज का भी संचालन होगा. छात्र खेलों में अपना करियर संवार सकेंगे. योगी सरकार इसे जल्द से जल्द तैयार कर इसका संचालन शुरू करने की तैयारी में है.
स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में भी मेजर ध्यानचंद की झलक. (Photo Credit; ETV Bharat) आधुनिक हॉकी ग्राउंड का कराया निर्माण :इसके अलावा राज्य सरकार ने झांसी के ध्यानचंद स्टेडियम के लिए भी अत्यधिक बजट से हॉकी के खिलाड़ियों के लिए आधुनिक हॉकी ग्राउंड का निर्माण कराया है जो कि अंतराष्ट्रीय स्तर की सभी सुविधाओं से लैस है. इस ग्राउंड के बनने से उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय हॉकी के लिए रोजाना सुबह-शाम खिलाड़ी अभ्यास करते हैं. कभी वे मिट्टी के ऊबड़ खाबड़ मैदान पर अभ्यास किया करते थे. जब किसी चैंपियनशिप में खेलने के लिए मैदान में उतरते थे तो वहां एस्ट्रो टर्फ होने की वजह से प्रदर्शन में फेल हो जाया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
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