धर्मशाला: राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) हर साल देश के चुनिंदा राज्यों में सुरक्षा की दृष्टि से मॉक ड्रिल करती है. इस साल हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा को चिन्हित करके मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया है. 6 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया. इस मॉक ड्रिल में स्थानीय प्रशासन डीडीएमए, कांगड़ा पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एसडीआरएफ और फोरेंसिक टीम ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के सहयोग से धर्मशाला में मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया.
इन स्थानों पर किया मॉक ड्रिल
धर्मशाला और कांगड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट स्टेडियम, नामग्याल बुद्ध मठ, धर्मशाला के अति व्यस्त स्थानों और मैक्लोडगंज जैसे संवेदनशील स्थलों में मॉक ड्रिल किया गया. इस अभ्यास के दौरान विभिन्न प्रकार के आतंकवादी परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए वास्तविक स्थिति का असल अनुभव प्रदान किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य संभावित आतंकवादी घटनाओं का पहले से अनुमान लगाकर, आतंकवाद संकट प्रबंधन तंत्र को लागू करने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं का अभ्यास करना था.
सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय और सहयोग की महत्ता
एएसपी कांगड़ा वीर बहादुर ने बताया कि इस अभ्यास (गंडिव-VI) में स्थानीय प्रशासन, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को विकट परिस्थितियों में पहले उत्तरदाताओं के रूप में शामिल किया गया. जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को अंतिम उत्तरदाता के रूप में कार्यवाही हेतु शामिल किया गया. इससे विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग की महत्ता को भी समझा गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तेजी से कार्रवाई की जा सके. ये अभ्यास न सिर्फ उत्तरदाताओं की तत्परता को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें संकट के समय में बेहतर फैसला लेने की क्षमता भी प्रदान करता है.
एएसपी कांगड़ा वीर बहादुर ने बताया, "मॉक ड्रिल मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी, बंधक बचाव ऑपरेशनों, विभिन्न परिदृश्यों में IED विरोधी ऑपरेशनों और उच्च श्रेणी के व्यक्तियों के अपहरण बचाव पर केंद्रित था. इसके तहत इन सभी ऑपरेशनों के लिए विशेष रणनीतियों का विकास किया गया, ताकि वास्तविक जीवन में इनका प्रभावी ढंग से प्रयोग किया जा सके. ये अभ्यास आतंकवाद से निपटने के लिए बेहतर तकनीकों और प्रक्रियाओं को विकसित करने में सहायक होगा अभ्यास में स्थानीय प्रशासन के समन्वय से घायल प्रबंधन और यातायात नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों का अभ्यास किया गया. इसके साथ ही, संकट के समय में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को भी परखा गया."
सुरक्षा एजेंसियों में तालमेल के लिए जरूरी