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दिल्ली में एक ऐसा पोस्ट ऑफिस... जहां सिर्फ महिलाएं काम करती हैं, जानिए- देश के इस पहले डाकघर की कहानी

देश की पहली महिला डाकघर प्रमुख पूनम अपनी उपलब्धियों के साथ लोगों के सामने आई हैं. उन्होंने अपने अनुभवों को ईटीवी भारत से साझा किया.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

Updated : 42 minutes ago

दिल्ली में है देश का पहला महिला डाकघर
दिल्ली में है देश का पहला महिला डाकघर (Etv Bharat)

नई दिल्लीःहर साल 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है, जिससे डाक सेवा के महत्व, इसकी उपयोगिता और डाक विभाग में सुधार की दिशा में कार्य करने का संकल्प लिया जाता है. इस अवसर पर डाक विभाग में महिलाओं की भागीदारी का जिक्र करना न केवल जरूरी है, बल्कि प्रासंगिक भी है, क्योंकि आज बड़ी संख्या में महिलाएं डाक विभाग के विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं.

दिल्ली के शास्त्री भवन में देश का पहला महिला डाक घर है, जहां सिर्फ महिलाएं ही काम करती हैं. यह डाकघर भारतीय महिला सशक्तीकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जिसे वर्ष 2013 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर खोला गया था. तब के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री कपिल सिब्बल ने इस डाकघर का उद्घाटन किया था.

जानिए पूनम के गौरव और प्रेरणा की कहानी (ETV bharat)

सब पोस्ट मास्टर पूनम का नेतृत्व:इस महिला डाक घर का नेतृत्व सब पोस्ट मास्टर पूनम कर रही हैं. पूनम को अपनी टीम पर गर्व है, जिसमें उनके साथ एक पोस्टल असिस्टेंट और एक मल्टी टास्क स्टाफ शामिल हैं. उनका कहना है कि "यहां आने वाले ग्राहक देखकर खुश होते हैं कि पूरी डाकघर की संचालन टीम महिलाएं हैं. मेरा मानना है कि महिलाएं काम के प्रति अधिक संजीदा रहती हैं."

पूनम का मानना है कि डाक सेवा भी एक महत्वपूर्ण सेवा क्षेत्र है, जहां ग्राहक की संतुष्टि बेहद आवश्यक है. वह कहती हैं, "यहां हमें लोगों से मनोबल मिलता है. लोग हमारी सराहना करते हैं, जिससे हमारी मेहनत को मान मिलता है."

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डाकघर की सेवाएं:यह महिला डाक घर नॉन डिलीवरी पोस्ट ऑफिस है, अर्थात् यहां से लोग डाक भेज सकते हैं लेकिन यह डाक को सीधे लोगों के घर तक नहीं पहुंचाता. मगर, यहां विभिन्न सेविंग सर्विसेज प्रदान की जाती हैं. ग्राहक घर में खाता खोलकर अपनी जमा-राशि रख सकते हैं.

समाज में बदलाव की दिशा: पूनम का कहना है कि इस तरह की महिला डाक कार्यालय स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि महिलाएं सशक्त हैं और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा सकती हैं. "महिलाएं घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ ऑफिस की जिम्मेदारी भी निपटाती हैं."

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