रांची: राजधानी के जिला स्कूल मैदान में अक्षरों का संसार सजा है. 26 जनवरी 2025 तक आयोजित इस राष्ट्रीय पुस्तक मेला का उद्घाटन राज्यसभा सांसद महुआ माजी, विधायक सीपी सिंह, जाने माने हिन्दी साहित्यकार जंग बहादुर पांडे ने संयुक्त रूप से किया. समय इंडिया, नई दिल्ली और बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय, पटना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 10 दिवसीय इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में एक से बढ़कर एक किताबें मौजूद हैं.
रांची के जिला स्कूल मैदान को लगभग दो दर्जन से अधिक प्रकाशन द्वारा सजाई गई इस किताबों की दुनियां में गीता प्रेस की आध्यात्मिक किताब जहां शोभा बढ़ा रही है, वहीं इतिहास के पन्नों को समेटे इतिहास और भारतीय संविधान की एक से बढ़कर एक किताबें पुस्तक प्रेमियों को अपनी ओर खींच रही है. राष्ट्रीय पुस्तक मेला का विधिवत शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि और प्रख्यात साहित्यकार सह राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि पुस्तकें नहीं होती तो हम अपनी परम्परा, संस्कृति और ज्ञान संपदा को नहीं जान पाते.
इस पुस्तक मेला के उद्घाटन समारोह में पहुंचे विधायक सीपी सिंह ने पुस्तकों को व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखना आसान नहीं, बहुत साधना और संयम की जरूरत होती है. मौके पर जाने माने साहित्यकार जंग बहादुर पांडे ने पुस्तक की उपयोगिता बताते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में पूछा अर्जुन से कि संसार में सबसे पवित्र वस्तु कौन सी है.
अर्जुन के जवाब पर भगवान कृष्ण ने गीता के चौथे अध्याय के 38वें श्लोक में सबसे पवित्र वस्तु ज्ञान बताते हुए कहा कि इसी से विश्व का कल्याण है. इस ज्ञान की प्राप्ति बगैर अध्ययन से नहीं हो सकती है. इसलिए पुस्तक हमेशा से उपयोगी रहा है और हमेशा रहेगा. पुस्तक मेला से पुस्तक के प्रति आकर्षक और बढ़ता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
पुस्तक मेला के पहले दिन कई पुस्तकों का विमोचन
उद्घाटन कार्यक्रम साहित्यिक गतिविधि से शुरू हुआ. अतिथियों का स्वागत समय इंडिया के प्रबंध न्यासी चंद्र भूषण ने शॉल भेंट कर किया. अतिथियों के स्वागत भाषण में उन्होंने कहा कि रांची में जारी पुस्तक मेला की परंपरा पुस्तक आंदोलन का हिस्सा है. उन्होंने पुस्तक प्रेमियों से अपील की है, कि अधिक से अधिक संख्या में मेले में आकर पुस्तकें खरीदें और उपहार में इसे भेंट भी करें.