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नर्मदा किनारे थे विलुप्त हो चुके मैमथ, म्यूजियम में है 2 लाख वर्ष पुराना हाथी दांत का जीवाश्म - TWO MILLION YEAR OLD IVORY FOSSIL

नर्मदापुरम संग्रहालय में दो लाख वर्ष पुराना हाथी दांत का जीवाश्म रखा हुआ है. इतिहासकारों का मानना है कि यहां मैमथ हुआ करते थे.

IVORY TEETH FOSSIL FOUND SURAJKUND
सूरजकुंड में मिला हाथी दांत का जीवाश्म (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 5:39 PM IST

Updated : Oct 17, 2024, 7:50 PM IST

नर्मदापुरम:मध्य प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है. इसका प्रमाण नर्मदापुरम के तटीय क्षेत्र से मिलता है. यहां लाखों वर्ष पहले के प्रमाण मिलते हैं. यहां मिले करीब दो लाख वर्ष पहले यहां मैमथ (हाथी) दांत के जीवाश्म से इसकी पुष्टि होती है. नर्मदा के तटीय क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल का इतिहास देखने को मिलता है. दरअसल नर्मदापुरम के पुरातत्व संग्रहालय में एक हांथी दांत का जीवाश्म रखा हुआ है, जो लगभग दो लाख वर्ष पुराना है. पुरातत्व विभाग ने नर्मदापुरम में नर्मदा नदी किनारे स्थित सूरज कुंड से इस जीवाश्म को खोजा था. जिसे आज भी धरोहर के रूप में संग्रहालय में सुरक्षित रखा है.

'जीवाश्म से प्रमाणित होता है मैमथ होने की उपस्थिति'

इतिहासकार हंसा व्यास बताती हैं कि "नर्मदापुरम के सूरजकुंड में मिला हाथी दांत का जीवाश्म होशंगाबाद के प्रागैतिहासिक काल के इतिहास पर प्रकाश डालता है. इतिहासकारों ने इस हाथी दांत का जो समय बताया है वह लगभग दो लाख वर्ष पुराना बताया है. इसका मतलब यह है कि यहां मैमथ रहते थे और मैमथ होने की उपस्थिति इस हाथी दांत के जीवाश्म से यह प्रमाणित होती है. इसी तरह की एक मानव की खोपड़ी भी नर्मदा घाटी से मिली है जो सबसे पहले मानव की उपस्थिति का इतिहास नर्मदा घाटी को प्रमाणित करता है. हाथी दांत का जीवाश्म होशंगाबाद के प्रागैतिहासिक काल का वह पुरातात्विक संदर्भ है जो प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास की पुष्टि करता है."

नर्मदा किनारे थे विलुप्त हो चुके मैमथ (ETV Bharat)
दो लाख वर्ष पुराना है हाथी दांत का जीवाश्म (ETV Bharat)
नर्मदापुरम म्यूजियम में है हाथी दांत का जीवाश्म (ETV Bharat)

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'प्रागैतिहासिक कालीन शैलचित्र हैं मौजूद'

इतिहासकार हंसा व्यास ने बताया कि "होशंगाबाद में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास के अनेक पुरातात्विक प्रमाण हमें दिखाई देते हैं. जिसमें हाथी दांत का जीवाश्म तो है ही इसके साथ यहां ऐसी पहाड़िया हैं जहां प्रागैतिहासिक कालीन शैलचित्र देखने को मिलते हैं. यदि संपूर्ण होशंगाबाद की बात करें तो सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और वहां की कई गुफाओं में हमें शैलचित्र मिलते हैं. इतना ही नहीं यह शैलचित्र बौद्ध धर्म को दर्शाते हैं क्योंकि बौद्ध स्तूप हमें पचमढ़ी की पांडव गुफा में भी दिखाई देते हैं. जहां यह क्षेत्र पौराणिककाल से अस्तित्व में है. वहीं इसके प्रागैतिहासिक काल के पुरातात्विक प्रमाण मिलते हैं."

पुरातत्व संग्रहालय नर्मदापुरम (ETV Bharat)
Last Updated : Oct 17, 2024, 7:50 PM IST

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