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नान घोटाला केस में पूर्व महाधिवक्ता, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की होगी CBI जांच - CHHATTISGARH NAN SCAM CASE

सीबीआई जांच को लेकर नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. सरकार ने EOW में दर्ज मामले CBI को सौंप दिए हैं.

CHHATTISGARH NAN SCAM CASE
होगी CBI जांच (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 15 hours ago

रायपुर: अनिल टुटेजा की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. छत्तीसगढ़ के नान घोटाला केस की जांच पहले EOW कर रही थी. अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी. राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले को सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई जांच को लेकर सरकार की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. गौरतलब है कि इसके पहले महादेव सट्टा एप, बिरनपुर हिंसा और और छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है.

नान घोटाला केस की जांच सीबीआई करेगी: कांग्रेस सरकार में महाधिवक्ता रहे सतीशचंद्र वर्मा भी अब जांच के घेरे में हैं. आरोप है कि नान घोटाला केस में अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीशचंद्र वर्मा ने गवाहों पर दबाव बनाया और बयान भी बदलवाए गए. दरअसल 4 नवंबर को EOW ने नान घोटाला केस में नई FIR दर्ज की थी. दर्ज FIR में रिटायर्ड IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया गया. इन तीनों पर अपने पद का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने का आरोप है. वाट्सएप चैट मिलने के बाद तीनों के खिलाफ FIR दर्ज हुई.

तीनों पर पद के दुरुपयोग का आरोप: EOW ने अपनी FIR में बताया कि रिटायर्ड अधिकारी, डॉक्टर आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा से व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल करके लाभ लिया. आरोपों के मुताबिक उनका मकसद था कि वो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कामकाज में गड़बड़ी कर सकें. इस बात का खुलासा वाट्सएप चैटिंग से हुआ है. इसके बाद सभी मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए.

चैट से हुआ खुलासा: आरोप है कि इन लोगों ने मिलकर ईओडब्ल्यू ब्यूरो में काम करने वाले बड़े अधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य था कि नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले में अपराध क्रमांक 9/ 2015 में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना. ताकि हाई कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके.

''सरकार में था दखल'': ईओडब्ल्यू ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भेजे गए प्रतिवेदन के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. FIR में बताया गया था कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉक्टर आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा पिछली सरकार में काफी प्रभावशाली माने जाते थे. इन अधिकारियों का 2019 से लगातार सरकार के संचालन और नीति निर्धारण सहित अन्य कामों में अच्छा खासा दखल था.

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