बिहार

bihar

ETV Bharat / state

होली के बाजार में हर्बल गुलाल की बहार, पालक-चुकंदर और हल्दी से शिल्पी ने किया तैयार

Muzaffarpur Herbal Gulal: होली का त्योहार जहां तन में तरंग भर देता है, वहीं मन में उमंग भर देता है. सारे गिले-शिकवे भूलकर लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल से सराबोर कर देते हैं, लेकिन होली की खुशियों में ये रंग-गुलाल खलल न डाले इसके लिए जरूरी है सही रंग-गुलाल का इस्तेमाल. मुजफ्फरपुर की बेटी शिल्पी श्रीवास्तव ने ऐसा ही हर्बल गुलाल तैयार किया है जो आपकी स्किन के लिए बेहद ही सुरक्षित है, पढ़िये पूरी खबर,

हर्बल गुलाल की बहार
हर्बल गुलाल की बहार

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 21, 2024, 7:13 AM IST

हर्बल गुलाल की बहार

मुजफ्फरपुरः बाजारों में होली की रौनक छाने लगी है. लोग रंग, पिचकारी और अबीर-गुलाल की खरीदारी में जुट गये हैं. बाजार में तरह-तरह के रंग-गुलाल बिक रहे हैं. लेकिन इन सब में खास है हर्बल गुलाल जिसे मुजफ्फरपुर की बेटी शिल्पा ने तैयार किया है.शिल्पी ने पालक, चुकंदर और हल्दी का इस्तेमाल कर ये हर्बल गुलाल तैयार किए हैं. स्किन फ्रेंडली होने के कारण इस गुलाल की मांग भी बढ़ रही है.

हर्बल गुलाल की बहार

कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल ?:प्रकृति का श्रृंगार कहे जानेवाले होली के त्योहार को हर्बल रंग-गुलाल का उपहार देकर मुजफ्फरपुर के रामबाग चौक की रहने वाली शिल्पी श्रीवास्तव ने इसे और रंगीन बना दिया है. बाजार में बिक रहे केमिकल भरे रंग-गुलाल की जगह पालक की पत्तियों, चुकंदर और हल्दी से तैयार हर्बल गुलाल स्किन फ्रेंडली है.

हर्बल गुलाल की बहार

अलग-अलग चीज से अलग-अलग रंगःहर्बल गुलाल बनानेवाली शिल्पी बताती हैं कि "हर्बल गुलाल बनाने के लिए सब्जियों की पत्तियों या हल्दी को उबालकर उसमें अररोट मिलाकर गूंथा जाता है. फिर मिश्रण को सूखने के लिए धूप में डाल देते हैं." शिल्पी कई रंगों के गुलाल तैयार करती हैं. हरे गुलाल के लिए पालक का इस्तेमाल करती हैं तो पीले गुलाल के लिए हल्दी का इस्तेमाल करती हैं. इसी तरह लाल गुलाल के लिए चुकुंदर का इस्तेमाल करती हैं.

हर्बल गुलाल की बहार

ऑर्गेनिक रंग से मधुबनी पेंटिग करती हैं शिल्पीः ये पहली बार नहीं है कि शिल्पी ने लीक से हटकर कोई काम किया है. इससे पहले वो ऑर्गेनिक रंग से मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला को भी नया आयाम दे चुकी है. शिल्पी पिछले 10 सालों से लोककलाओं के संरक्षण को लेकर प्रचार-प्रसार में भी जुटी हैं. अपने नये-नये प्रयोगों और लोककला के प्रति समर्पण के लिए शिल्पी अभी तक 40 अवॉर्ड जीत चुकी हैं. गोवा की राज्यपाल रहीं मृदुला सिन्हा भी शिल्पा को सम्मानित कर चुकी हैं.

केमिकल से बचिये, हर्बल को अपनाइये:शिल्पी फिलहाल 15 से अधिक बच्चों को हर्बल गुलाल सहित कई कलाओं की ट्रेनिंग दे रही हैं. शिल्पी का कहना है कि "रंग-गुलाल में मिले केमिकल के इस्तेमाल से आंखों और स्किन में एलर्जी के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. ऐसे में आपके लिए हर्बल गुलाल बेहतर हो सकता है तो केमिकल से बचिये, हर्बल अपनाइये और होली की खुशियां जमकर मनाइये."

ये भी पढ़ेंःहोली है..! जानिए कैसे तैयार होता है गया में हर्बल गुलाल, जो विदेशों तक मचा रहा है धमाल

ABOUT THE AUTHOR

...view details