डॉक्टर दुर्गेश और शोध छात्रा ने दी म्यूजिक थेरेपी से जुड़ी जानकारी (video credit- etv bharat) वाराणसी:वर्तमान आधुनिक भाग दौड़ भरे जीवन में हर कोई तनाव से जूझ रहा है. जिससे तरह-तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में संगीत विधा इस तनाव को दूर करने का जरिया बनने जा रही है, जिसकी शुरुआत वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हो रही है. जी हां! इस विश्वविद्यालय में संगीत विधा से मेडिकल कोर्स की शुरुआत की गई है, जो लोगों का तनाव दूर करेगा.
बड़ी बात यह है, कि ये यूपी का पहला विश्विद्यालय बना है, जहां पर संगीत में एकेडमिक कोर्स की शुरू की है. इसके साथ ही इस कोर्स में सबसे पहले संस्था के छात्र और कर्मचारियों का इस थेरेपी से मानसिक तनाव दूर होगा. साथ ही अन्य विधा के बच्चे इसका गुण भी सीख सकेंगे.
2019 में रखी गयी थी नींव:इस बारे में इस कोर्स के कॉर्डिनेट डॉक्टर दुर्गेश उपाध्याय ने बताया, कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत 2019 में इस थेरेपी लैब की बुनियाद रखी गई. 2022 में यह बनकर तैयार हो गया,जहां अब पहली बार विश्वविद्यालय में इसके एकेडमिक सेशन की शुरुआत होने जा रही है.इसके लिए बाकायदा शासन की ओर से 5.40 लाख का बजट भी जारी किया गया था.
क्या है संगीत थेरेपी:डॉक्टर दुर्गेश कहते हैं, कि संगीत थेरेपी मेथड बेहद पुरानी पद्धति है. जिसका प्रयोग 15वीं 16वीं शताब्दी में होता था. जहां इस पद्धति में संगीत के अंग ध्वनि, लय,ताल का प्रयोग करके मानसिक विकारों को दूर किया जाता था. लेकिन, वर्तमान आधुनिक जीवन में तनाव, डिप्रेशन इतना ज्यादा बढ़ गया है, कि हर कोई अब मानसिक चुनौतियों,विकारों से जूझ रहा है. ऐसे में फिर से इन विकारों को दूर करने की शुरुआत की जा चुकी है. जिसकी तस्वीर विदेशों में देखी जा रही है. इसी के तहत अब यूपी के वाराणसी विश्वविद्यालय में इसकी शुरुआत हो रही है,जहां संगीत के जरिए मरीज का इलाज किया जाएगा.
साइंटिफिक तरीके से होगा प्रयोग: डॉक्टर दुर्गेश उपाध्याय बताया, कि यह पूरा अप्रोच एक साइंटिफिक प्रैक्टिकल मॉडल पर निर्भर है. एक लंबे रिसर्च के बाद इसकी शुरुआत की जा रही है.जहां मनोविज्ञान की तकनीक और सिद्धांतों के साथ संगीत की बारीकियां और नैतिकता का समावेशन भी किया गया. इसमें रिसर्च और प्रैक्टिस दोनों साथ-साथ चलेगा. इसके लिए एक टूल किट को भी डेवलप किया गया है.
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ये है इलाज की प्रक्रिया:डॉक्टर दुर्गेश कहते हैं, कि शुरुआती दौर में यदि हमारे पास कोई मरीज आता है तो हम सबसे पहले उसकी स्क्रीनिंग करते हैं. टेस्ट हिस्ट्री लेते हैं. इसके लिए हमने बकायदा स्कैनिंग टूल डेवलप किया है. जिसमें हम मरीज की हिस्ट्री, जानकारियों के साथ उसके म्यूजिक प्रीफरेंस को भी जानेंगे. जिसमें डेमोग्राफिक डिटेल और म्यूजिक का रोल उनके जीवन पर क्या है? उसकी जानकारी मिलेगी.जिसका हम मापन करेंगे. यह मरीज का पहला सेशन होगा और इसके आधार पर ही आगे की प्रक्रिया चलेगी. एक मरीज को कम से कम 10 से 12 सेशन लेने होंगे, जिससे उन्हें काफी लाभ मिलेगा.
ओपन सेशन में हर कोई ले सकेगा लाभ: शुरुआती दौर में हम विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद सभी विद्यार्थियों का इस चिकित्सा पद्धति के जरिए काउंसलिंग करेंगे. उसके बाद जब हमारा एक बैच निकल जाएगा, तो उनके जरिए हम ओपन सेशन रखेंगे. ताकि बाहर के लोग भी आकर के यहां पर सर्विस ले सके और इसके साथ फील्ड वर्क के दौरान हम स्वयं अलग-अलग ग्रुपों में अलग-अलग सेंटर, संस्थानों में जाकर के लोगों का असेसमेंट करेंगे और उन्हें इस विधा के जरिए बेहतर सुविधा देंगे.
बिना दवाओं के होगा इलाज:वही इस विधा से जुड़ी हुई छात्रा श्वेता बताती है कि, संगीत का जीवन मे बेहद ख़ास रोल होता है. संगीत के जरिये थकान,तनाव,रक्तचाप, दिल की बीमारियां या गम्भीर बीमारियो से लड़ने की एक क्षमता का विकास होता है. यही नहीं अनिद्रा एकाग्रता में संगीत बड़ा रोल निभाता है. वर्तमान समय में विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा तनाव, एंजायटी देखने को मिल रहै है. ऐसे में उनके पसंदीदा म्यूजिक के जरिए उनका इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया जाएगा, जो बेहद लाभदायक है. अच्छी बात यह है, कि इसमें उन्हें किसी भी तरीके की दवा या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना है. बल्कि, प्राकृतिक चीजों के जरिए उनको स्वस्थ करना है.
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