भोपाल।एमपी में मंत्री नागर सिंह चौहान ने जो ट्रेलर दिखाया, क्या इसके बाद पूरी फिल्म भी सामने आ सकती है? क्या अर्से बाद बीजेपी में दिखाई दी बगावत का असर दूर तक जाएगा और कुछ देर बाद फिर सुनाई देगा. क्या जिस तरह से नागर के तेवर संभाले गए हैं. ये कितने दिन की गारंटी है? गोपाल भार्गव से लेकर अजय विश्नोई हाशिए पर चल रहे भूपेन्द्र सिंह से लेकर अर्चना चिटनीस और जीत का रिकार्ड बना देने वाले रमेश मेंदोला तक सूची लंबी है. जो सियासत में किसी भी दिन उबाल मार सकते हैं. नागर ठंडे पड़ गए हों, लेकिन बीजेपी में तूफान क्या अभी बाकी है.
कांग्रेसियों का स्वागत, नहीं अब सवाल खड़े हैं
2020 से 2024 तक बहुत पानी बह चुका के अंदाज में समझें, तो 2020 में कांग्रेस से आए मेहमानों को नवाजना पार्टी की मजबूरी थी, लेकिन 2023 में एमपी में मिले बहुमत के बाद जो गिनती के कांग्रेसी आए और जिस तरह से इन्हें पार्टी में हाथों-हाथ नवाजा गया है, एक अकेले राम निवास रावत के लिए कैबिनेट विस्तार कर दिया गया. उसके बाद बीजेपी में असंतोष की जो लहरें उठी हैं. उन्हें संभालना क्या इतना आसान होगा. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में बुनियादी सवाल ये है कि जब आप कंफर्टेबल मेजोरिटी में हैं.
जब आपको किसी टेके की जरुरत ही नहीं है फिर कांग्रेसियों को ना सिर्फ पार्टी में लाना और फिर सशर्त लाना. लाने के बाद अपनी पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके इन्हें नवाजना सवाल तो उठेंगे ही, नाराजगी किस कदर है कि अकेले नागर सिंह की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी को दिल्ली भोपाल एक करना पड़ा है.'